क्यों बुनती रहती हो तुम
शब्दों के मकड़ जाल
उलझा कर कागज़ के टुकड़ों पर
फिर कहती हो
हल करो पहेलियाँ
देखो कितने रंग भर के बनाई है
कितने गूढ़ रहस्य छिपे हैं
इन तस्वीरों में
ज़िन्दगी पहले ही
कम उलझी हुई नहीं है क्या
खुलते ही नहीं ज़िन्दगी
के रहस्य
पार कर लूं एक दरवाज़ा
तो फिर से सामने आ जाता
दूसरा बंद कमरा
और तुम्हारा यह कहना
भी लगता है गैर वाजिब
तुम तो निरे बुद्धू हो
नहीं समझ पाते तुम
शब्दों की जटिलता
नहीं करना आता तुम को
भावों का सम्प्रेषण
नहीं कहनी आती तुम्हे
कविता
दिल करता है मेरा
तेरी आँखों पर अटके हुए
चश्में को उतार
हौले से तेरे
नाजुक गालों को पकड़
तेरे माथे की तलहटी पर
अपने गरम होंठ रख दूं
और पी जाऊं तेरी
जुल्फों की महक
और पूछूं तुमसे
क्या नहीं हुआ
भावों का सम्प्रेषण
क्या नहीं कही
कविता मैंने
शुक्रवार भी आइये, रविकर चर्चाकार |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पाइए, बार-बार आभार ||
charchamanch.blogspot.com
और पूछूं तुमसे
जवाब देंहटाएंक्या नहीं हुआ
भावों का सम्प्रेषण
क्या नहीं कही
कविता मैंने ...
भावों का मूक सम्प्रेषण.... बहुत असरदार ..
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी!! कमाल है विशाल जी!!
जवाब देंहटाएंवाह वाह...बेहद खूबसूरती से आपने कविता कही...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे...
bahut hee sundar.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंक्या नहीं हुआ
जवाब देंहटाएंभावों का सम्प्रेषण
क्या नहीं कही
कविता मैंने
और आपको उम्मीद है कि कोई जवाब मिलेगा ? सारी कविता उतर जायेगी मन में :):)
बहुत ही खुबसूरत अहसास हैं | काफी दिनों बाद........नया साल मुबारक हो |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुती .......
जवाब देंहटाएंदिल करता है मेरा
जवाब देंहटाएंतेरी आँखों पर अटके हुए
चश्में को उतार
हौले से तेरे
नाजुक गालों को पकड़
तेरे माथे की तलहटी पर
अपने गरम होंठ रख दूं
और पी जाऊं तेरी
जुल्फों की महक
और पूछूं तुमसे
क्या नहीं हुआ
भावों का सम्प्रेषण
क्या नहीं कही
कविता मैंने ......
wow......
very romantic...
बेहतरीन ...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंKavita jab jeene lage to shabdon ki jaroorat nahi hoti .... Lajawab rachna ...
जवाब देंहटाएंAapko naya Saal Mubarak ...
बेहतरीन प्रस्तुति -क्या नहीं कही कविता मैंने ....
जवाब देंहटाएंवाह ....शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ...............
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
अगर शब्दों को समझ पाते तो भावों की जटिलता कॊ भी समझ ही लेते:)
जवाब देंहटाएंप्रेम शब्दों का मुहताज़ कहां,बस प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो,सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंwaah! bahut hi umda likh aap ne,laajwaab.....pahli baar aap ke blog par aana hua,bahut badiya likhte hai aap,bdhaai sweekaren....
जवाब देंहटाएंbilkulji aapke bhaavon ka sampreshan pathakgan ko ho gya hai Vishalji. bahut achha likha hai.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
और तुम्हारा यह कहना
जवाब देंहटाएंभी लगता है गैर वाजिब
तुम तो निरे बुद्धू हो
नहीं समझ पाते तुम
शब्दों की जटिलता
नहीं करना आता तुम को
भावों का सम्प्रेषण
नहीं कहनी आती तुम्हे
कविता
....pyar jab kavita ban jaati hain to phir jatila sahaj ban padti hain..
sundar rachna... shubhkamnayen.
वाह बहुत खूब. भावो कि जटिलता को आपने शब्दों में पिरो दिया है.
जवाब देंहटाएंबहूत सुंदर भावो का संगम है....
जवाब देंहटाएंबहूत हि बेहतरीन रचना है...
तारीफ में शब्द नही...
Amrita Tanmay
जवाब देंहटाएंबार-बार पढ़ना अच्छा लगता है ये नज़्म..
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
"sirf ehsaas hai yeh rooh se mehsoos karo......."
जवाब देंहटाएंbehtareen prastuti !
बहुत ही खुबसूरत अहसास| सुंदर रचना|
जवाब देंहटाएंऔर पी जाऊं तेरी
जवाब देंहटाएंजुल्फों की महक
और पूछूं तुमसे
क्या नहीं हुआ
भावों का सम्प्रेषण
क्या नहीं कही
कविता मैंने
सम्पूर्णता के साथ भाव सम्प्रेषण।
बहुत अच्छी कविता।
बहुत खूब......
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