कुछ भूल जाना चाहता हूँ,
इक ज़ख्म सीना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
मैं पास आना चाहता था ,
अब दूर जाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
कुछ होश खोना चाहता हूँ,
कुछ होश पाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
नया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
विशाल जी जाम खुद भी पी रहे हो और पिला भी रहे हो.क्या बिलकुल मदहोश करने का इरादा है? आपने क्या खूबसूरत गुनगुनाया कि नया गीत खुदबखुद धरा पे उतार आया.इस खूबसूरत गीत के लिए बहुत बहुत आभार .
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ....
जवाब देंहटाएंकुछ होश खोना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंकुछ होश पाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
बहुत सुन्दर
मैं पास आना चाहता था ,
जवाब देंहटाएंकुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
नया गीत गाना चाहता हूँ,
अब दूर जाना चाहता हूँ,
बहुत सुन्दर और गहरे भाव...आभार
कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
गुनगुना लो भाई ..किसने मना किया है ..पर हाँ एक कमी तो रहेगी ही जब जाम मिलेगा तो फिर गुनगुनायेंगे ..चलो इंतजाम करते हैं चलते -चलते ...आपका आभार
भई वाह , बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
नया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
विशाल भाई जब जाम कि महफिल सजेगी (केवल राम जी के साथ) तो हमे बताना मत भूलना
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
जवाब देंहटाएंकुछ और जीना चाहता हूँ.
एक जाम पी कर जीने की चाहत , बहुत खूब
कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
जीवन में उत्साह का संचार करने वाली रचना !
शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर और गहरे भाव| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंare vaah bhaayi.....
जवाब देंहटाएंaapke yahaan aa ke aapki kavitaaon ke jaam....aur pina chahta hoon...aur pina chahta hoon....
जवाब देंहटाएंविशाल जी,
जवाब देंहटाएंखूब जियो, खूब पीयो इस रसधार को जो परमात्मा ने इस संसार में बहाई है.....
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
विशाल जी, इतनी शराब सडको पे मत बहाओ
जवाब देंहटाएंचलुगी तो फिसल जाउंगी,फिर क्या करोगे "
अजी ! आपको अभी बहुत जीना है ? हजारो साल ....
( कुछ ज्यादा तो मेने नही पी ली ) धन्यवाद !
विशाल जी, सिर्फ एक जाम काफी है क्या ?
जवाब देंहटाएंहम तो यही कहेंगे
" ला पिला दे साकिया , पैमाना पैमाने के बाद
बात मतलब की करूंगा, होश में आने के बाद ! "
सुंदर प्रस्तुति !
विशाल जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत सुन्दर और गहरे भाव...आभार
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमाँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
Geet lajawaab hai ... jeevan jeene ki aashaa bandhaata hai ...
जवाब देंहटाएंपर..... कौन रोक रहा है :)
जवाब देंहटाएंकुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......
अच्छी चाहें........
जवाब देंहटाएं"कुछ पीजिये,कुछ पिलाइए..
कुछ गाइए,कुछ गुनगुनाइए...
कुछ दूर जाइये और फिर पास आइये...
लेकिन होश खोइए नहीं,होश पाइए.....!!"
खूबसूरत सी रचना.....!!
हर इंसान के दिल में दबी ख्वाहिशें बयान की हैं आपने.. विशाल जी.. सचमुच दिल की कलम से!!
जवाब देंहटाएंकुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
chahat ke baigar jina namumkin hai ,jine ke vaste koi na koi lakshya jaroori hai .bahut badhiya .
चलो इक बार फिर से , अजनबी बन जाएँ हम दोनों --
जवाब देंहटाएंएक रास्ता बंद होता है , तो दूसरा खुल जाता है ।
अभी तो गुनगुनाए जाओ ।
विशाल जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भाव हैं जीने का हौसला गज़ब का है रचना के हार छंद में... लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि शिल्प की दृष्टि से रचना और बेहतर हो सकती है ..और उसके बाद इसके भाव और तीखे महसूस होंगे ..
खुबसुरत अदांज है आपका और उतनी ही खुबसुरती से आपने इसे सवॉरा है। आभार।
जवाब देंहटाएंकुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
यूँही गुनगुनाते रहिये. सुंदर कविता के लिए आभार.
कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
यह चाह जब तक है, ज़िन्दगी साथ है
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
जवाब देंहटाएंकुछ और जीना चाहता हूँ.
सुंदर भाव
बस जीने कि तमन्ना बनी रहनी चाहिए ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंattachment causes detatchment, फ़ोकट की सलाह है विशाल भाई, कुछ भूलना चाहते हैं तो कुछ और खोजिये जो याद करने लायक हो, इस कुछ को तो खुद ही भूल जायेंगे।
जवाब देंहटाएंपास आना, दूर जाना, होश खोना, होश पाना, यह अंतर्द्वन्द्व या कन्फ़्यूज़न ही जीवंत होने की, विचारशील होने की निशानी है।
शानदार लिखा है आपने, शुभकामनाएं
शानदार!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ab mei b kuchh aur jeena chahta hu.....
जवाब देंहटाएंaarzooon ke liye jiyo
जवाब देंहटाएंhasraton ke liye jiyo
peene ka vaasta kyon hai huzoor?
zindagi yoon bhi haseen hai
jeene ke liye jiyo.
कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंनया गीत गाना चाहता हूँ,
अच्छी प्रस्तुति
जाम के साथ गीत ,जीने की ऐसी तमन्ना जानदार और शानदार भी है ..गुनगुनाते रहें ..हमें सुनाते रहे ...
जवाब देंहटाएंकुछ भूल जाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंइक ज़ख्म सीना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
...
...
लो विशाल जी आपकी इस ख्वाहिश के हवाले हम भी खुद को करते हैं आज से !
जीवन से परिपूर्ण जीवंत रचना ..
जवाब देंहटाएंबधायण सुन्दर लेखन के लिए..
विशाल जी,कविता में चार बंद थे तो चार बार आपने जाम पी लिए.अगर कविता और लम्बी हो जाती तो आपके और मज़े आते.बधाई कविता की भी और जाम की भी.
जवाब देंहटाएंकुछ भूल जाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंइक ज़ख्म सीना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
सुन्दर कविता बधाई
बहुत सिम्पल शब्दों में कमाल की उड़ती-फिरती सी रचना....
जवाब देंहटाएंकुछ भूल जाना चाहता हूँ,
जवाब देंहटाएंइक ज़ख्म सीना चाहता हूँ,
इक जाम पीना चाहता हूँ ,
कुछ और जीना चाहता हूँ.
bahut sundar
क्या बात है विशाल जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंरामनवमी की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ..
जवाब देंहटाएंaapne ek aur rachna post ki thi nazar nahi aa rahi .
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat...
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