23 मई 2013


बैरंग 

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तुम लौटे हो,
बरसों बाद,
लंबा सफ़र तय करके,
देखने फिर ,
मेरे पुराने रंग,
अफ़सोस 
मेरे रंग 
बिक गए सारे,
ज़िन्दगी के उधार
 चुकाते चुकाते,
बस बची है,
स्याही और सफेदी,
स्याही भी कम है अब 
सफेदी कुछ ज़्यादा है,
तुम ज़रा देर से पहुंचे,
मुझे मुआफ़ करना,
लौटा रहा  हूँ मैं 
तुम्हे बेरंग, 
बैरंग।.

 

15 जनवरी 2013

पीढ़ियों का अंतर 


पीढ़ियों का अंतर 
एक पुल है,
उस पार 
रहता है भविष्य 
इस पार 
आज है 
जो सिर्फ 
आज को ही देख पाता है,
अगर तुम कल को 
देख पाओ तो 
पार कर लोगे
यह पुल,
नहीं तो खाईयों
में तुम्हारा
स्वागत है।

28 जनवरी 2012

मैं

अहं की 
अभिव्यक्ति
मैं से शुरू
मैं से इति
मैं बेहतर
तू कमतर 
मैं आकाश 
तू थलचर
मैं रसना
मैं श्रुति
मैं दृष्टा
मैं श्रृष्टि  
तू आलोचक
मैं कृति
सब पराये
मेरा दुर्योधन
मैं स्वीकृति
मैं अनुमोदन
मैं ही प्रश्न 
मैं ही उत्तर 
मैं ही सत्य
तू निरुत्तर
मोह की हवा
फूला गुब्बारा 
फटा तो
बचा न
मोह न मैं 

27 जनवरी 2012

भाव और शब्द

भाव के गर्भ से 
जन्म लेते शब्द
ज़ेर से अटे
नग्न
करते हैं रुदन
पर होते हैं जीवंत

शब्दों से
भाव का निर्माण
मूर्तिकार की रचना
तराशी हुई
सुन्दर
मनमोहक
पर निष्प्राण