रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
कच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
राखी में महक उठती है हवस
भर लेता खून स्वांग ज़हर का
पंख लग जाते दूध की मिठास को
मगर पत्थर मौसम की क़ैद से आज़ाद हैं
उन पर नहीं पानी का असर
पत्थर है एक रिश्ता काम का
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
कच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
कच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
राखी में महक उठती है हवस
भर लेता खून स्वांग ज़हर का
पंख लग जाते दूध की मिठास को
मगर पत्थर मौसम की क़ैद से आज़ाद हैं
उन पर नहीं पानी का असर
पत्थर है एक रिश्ता काम का
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
कच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
वाह यह रिश्ते और और इनका पानी की तरह इनका बदलना ......!
सटीक ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
सुन्दर प्रस्तुति ||
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंरिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
सुन्दर अभिव्यक्ति !
पूज्य पिताजी की कवितायें तो ऐसे बाँध लेती हैं कि कुछ कह पाने की स्थिति नहीं रह जाती है!! विशाल भाई, कुछ नहीं, बस मौन स्वीकारें!!
जवाब देंहटाएंरिश्ते मौसम के गुलाम
जवाब देंहटाएंपानी की तरह बदल लेते हैं रूप !!
sachchaayee hai... kahin n kahin....!!
रिश्ते मौसम के गुलाम
जवाब देंहटाएंपानी की तरह बदल लेते हैं रूप !!
सच्ची सार्थक रचना...
सादर आभार आदरणीय विशाल भाई...
यह सुन्दर शृंखला अनवरत चलती रहे...
सादर बधाई...
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप.........waah bahut khub
par vishwas kii dor bhi jaruri hai har rishte mei ...aabhar
रिश्ते मौसम के गुलाम
जवाब देंहटाएंपानी की तरह बदल लेते हैं रूप..
खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
रिश्ते भी गीली धुप से होते हैं ..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति ...
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप....बहुत ही खुबसूरत......
बहुत खूबसूरत रचना............
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें.
bahut hee sundar rachna hai sir jee
जवाब देंहटाएंविशाल भाई अच्छी कविता है ये आप के पापा जी की, ऐसी और कवितायें भी पढ़वाना
जवाब देंहटाएंपत्थर है एक रिश्ता काम का
जवाब देंहटाएं...
मुझे भी यही बात जंचती है विशाल भाई !
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
बहुत खूबसूरत.....बेहतरीन अभिव्यक्ति है बदलते रिश्तों की|
बदलता रूप रिश्तों का ...बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति ! बदलते रिश्तों की फितरत को बहुत ही बेबाकी से उकेरा है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंरिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
...बहुत सच...रिश्तों की सच्चाई को बखूबी उकेरा है..बहुत सुंदर
रिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप
riston ka taanabaana esa hi hai
रिश्ते को पानी की तरह बदलना बहुत कुछ बयां कर रहा है ..
जवाब देंहटाएंरिश्ते पत्थर जो नहीं होते ... मौसम का असर तो होना है .. बहुत उम्दा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंरिश्तों में बंधी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंकच्ची डोर का जाल
रिश्ते मौसम के गुलाम
पानी की तरह बदल लेते हैं रूप...बहुत खूबसूरत प्रस्तुति !