पीढ़ियों का अंतर पीढ़ियों का अंतर एक पुल है, उस पार रहता है भविष्य इस पार आज है जो सिर्फ आज को ही देख पाता है, अगर तुम कल को देख पाओ तो पार कर लोगे यह पुल, नहीं तो खाईयों में तुम्हारा स्वागत है।
✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥ ♥सादर वंदे मातरम् !♥ ♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿ अगर तुम कल को देख पाओ तो पार कर लोगे यह पुल, नहीं तो खाइयों में तुम्हारा स्वागत है ... बहुत ख़ूब ! स्वागत शब्द का अच्छा प्रयोग किया ... सुंदर और अर्थपूर्ण रचना !
विशाल जी लंबे अंतराल पश्चात वापसी का स्वागत ! आभार !!
महीने में दो बार ही सही , ब्लॉग पर प्रकट होते रहा करें ... :)
गणतंत्र दिवस की बधाई और मंगलकामनाएं … ... और शुभकामनाएं आने वाले सभी उत्सवों-पर्वों के लिए !! :) राजेन्द्र स्वर्णकार ✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿
गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर........बहुत दिनों बाद।
जवाब देंहटाएंवाह...गहन भाव अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकल पर भी नजर रखनी जरूरी है।
जवाब देंहटाएंस्वागत है विशाल जी।
हर समय हर काल में यह द्विविधा रहती है आपने इस कविता से सार्थक सन्देश देने का प्रयास किया है.
जवाब देंहटाएं✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
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अगर तुम कल को
देख पाओ तो
पार कर लोगे
यह पुल,
नहीं तो खाइयों
में तुम्हारा
स्वागत है ...
बहुत ख़ूब ! स्वागत शब्द का अच्छा प्रयोग किया ...
सुंदर और अर्थपूर्ण रचना !
विशाल जी
लंबे अंतराल पश्चात वापसी का स्वागत !
आभार !!
महीने में दो बार ही सही , ब्लॉग पर प्रकट होते रहा करें ...
:)
गणतंत्र दिवस की बधाई और मंगलकामनाएं …
... और शुभकामनाएं आने वाले सभी उत्सवों-पर्वों के लिए !!
:)
राजेन्द्र स्वर्णकार
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अहा! हार्दिक स्वागत है आपका .
जवाब देंहटाएंबहुत सही वरना खाईया
जवाब देंहटाएंइंतजार कर रही हैं
एक साल का अंतराल काफी ज्यादा है विशाल जी
पुनश्च सुभ स्वागत
युही अपने शब्दों से रू ब रू करवाते रहें ।
बहुत सही वरना खाईया
जवाब देंहटाएंइंतजार कर रही हैं
एक साल का अंतराल काफी ज्यादा है विशाल जी
पुनश्च सुभ स्वागत
युही अपने शब्दों से रू ब रू करवाते रहें ।
बहुत सही वरना खाईया
जवाब देंहटाएंइंतजार कर रही हैं
एक साल का अंतराल काफी ज्यादा है विशाल जी
पुनश्च सुभ स्वागत
युही अपने शब्दों से रू ब रू करवाते रहें ।