बैरंग
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बरसों बाद,
लंबा सफ़र तय करके,
देखने फिर ,
मेरे पुराने रंग,
अफ़सोस
मेरे रंग
बिक गए सारे,
ज़िन्दगी के उधार
चुकाते चुकाते,
बस बची है,
स्याही और सफेदी,
स्याही भी कम है अब
सफेदी कुछ ज़्यादा है,
तुम ज़रा देर से पहुंचे,
मुझे मुआफ़ करना,
लौटा रहा हूँ मैं
तुम्हे बेरंग,
बैरंग।.
देरी की कीमत, दूरी का मूल्य ...
जवाब देंहटाएंयह जिन्दगी के रंग .......!!! बदलते रहते हैं .....लेकिन इनके बदलने का अहसास सिर्फ किसी - किसी को हो पाता है ....!!!
जवाब देंहटाएंबहुत डीनो बाद लौटे हो और ये क्या सबको बैरंग लौटने को ?
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ।
समय के साथ साथ सब रंग उड़ गए, रह गए केवल सफ़ेद रंग ........
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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परिवर्तन.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंएक बार अवश्य पधारें- तौलिया और रूमाल
बैरंग.....बहुत ही सुंदर अहसास...मन को छूने वाला श्याम श्वेत रंग
जवाब देंहटाएंहम तो अपनी पसंद का रंग ले कर ही लौटेंगे , बेरंग नहीं !
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति , जीवन का यथार्थ समेटे हुए !
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की तल्खियाँ सब रंग चुरा ले गयी !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति!
bahut sunder abhivyakti!
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
आपका लिखा हर शब्द स्मरण योग्य ...khubsurat rachna..
जवाब देंहटाएंतो भी कुछ शेष रह जाता है ।
जवाब देंहटाएं......
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