24 मई 2011

दो व्यंग रचनाएँ -श्री रूप शर्मा "निर्दोष "

सभी चोर


कल रात मैंने
अपने मोहल्ले के कुत्तों को
डिनर पर बुलाया
फिर बुलाने का
मकसद समझाया
मैंने पूछा
क्यों भाई कुत्तो
आज कल चोरों पर भौंकना छोड़
खामोश क्यों हो गए हो
एक बूढा कुत्ता हाथ जोड़ कर कहने लगा
क्या करें निर्दोष भाई
हम भी तो भौंक भौंक कर बोर हो गए हैं
तुम ही बताओ किस किस पर भौंके
यहाँ पर सभी चोर हो गए हैं.

रिमांड

आ रही थी थाने से
एक कुत्ते के चिल्लाने की आवाज़
मैं रुका,ठहरा,पूछा,
पता चला
पुलिस  ने एक कुत्ते का
रिमांड लिया था
क्योंकि कुत्ते ने इमानदारी से 
अपना फ़र्ज़ पूरा किया था
हुई थी चोरी शहर की
एक बड़ी दूकान पर
पुलिस ले गयी थी उसे
चोरी का सुराग लगाने
उस दूकान पर
कुता सूंघता सूंघता
थाने में ही घुसा जा रहा था
सिपाही के दूसरी और घसीटने पर भी
बड़े मुंशी जी को चाट रहा था 

28 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी24 मई, 2011 09:24

    हा...हा....हा.....हास्य के साथ व्यंग्य की करारी चोट......शानदार |

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  2. बहुत अच्छा लेकिन ध्यान रखना ब्लॉग की दुनिया मे पुलिश वाले भी है ! जो शायद इमानदार हो !

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  3. एक बूढा कुत्ता हाथ जोड़ कर कहने लगा
    क्या करें निर्दोष भाई
    हम भी तो भौंक भौंक कर बोर हो गए हैं
    तुम ही बताओ किस किस पर भौंके
    यहाँ पर सभी चोर हो गए हैं.
    bahut shaandaar hahaha

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  4. विशाल भाई
    कुत्तों की भी खूब कहानी प्रस्तुत की आपने.
    लगता है आनंद की दुकान का 'ट्रेलर' है.
    पर भाई क्या हम सब वास्तव में चोर हैं ?

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  5. haasya ke saath saath ek sateek vyang hai.bahut shaandar prastuti.

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  6. बेहद शानदार और करारे व्यंग्य्।

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  7. रचना बहुत संदर है..मजा आ गया..
    दूसरी वाली से तो सहमत हूँ मगर पहली वाली अभी पूर्ण सत्य नहीं है

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  8. विशाल जी,
    कुत्ते की इमानदारी पर बेसाख्ता हंसी निकल आई....
    करारी व्यंग्य रचनाएं हैं.....
    सादर...

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  9. बहुत मज़ेदार व्यंग हैं । बधाई ।

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  10. बहुत खूब लिखा है दोनों को ही पढ़ कर मज़ा आया........ :):)

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  11. मारे ब्लॉग को पसंद करने पर आपका आभार.हमने आपको फौलो कर लिया है!!

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  12. बहुत शानदार व धारदार व्यंग । वाह...

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  13. @ राकेश कुमार जी

    ये बातें हमें औरो से नही बल्कि खुद अपने आप से अपनी अतंरआत्मा से पुछनी चाहिए।

    विशाल भाई अच्छी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद।

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  14. बहुत मज़ेदार व्यंग हैं । बधाई !

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  15. वाह...बहुत खूब लिखा है ...

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  16. व्यंग्य में सच्चाई है।
    आजकल कुछ ऐसे ही हालात हैं।

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  17. मज़ेदार पर सच्चाई बयां करते व्यंग्य.........

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  18. हैरानी नहीं होगी अगर आदमी कहे जाने पर कुत्ते बुरा मान जाएँ.

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  19. वाह! निर्दोष जी ने कुत्ता को भी हीरो बना दिया ..मतलब बोरियत को हम तक पहुंचा दिया..हंसकर दूर किया जाए ...हा!हा!हा!

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  20. बहुत खूब ... दोनो ही लाजवाब व्यंग हैं ...

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  21. दोनों ही व्यंग्य बस लाज़बाब हैं....
    आज का सच यही है.

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.