अब तो घर जाने में भी डर लगता है,
फूल से चेहरों में भी पत्थर लगता है,
न दुनिया ही मिली,न सनम ही न खुदा,
बे वजह ही जीस्त का सफ़र लगता है,
तेरे सजदे में हमेशा रहता है मेरा सर,
तू ही मेरी जानिब से बेखबर लगता है ,
तुमको मुबारक हो ये मंजिलें तमाम,
अपना मुकाम तो खुदा का घर लगता है,
झूठ बोलूँ तो मुझको पकड़ ही लेते हो,
सच बोलूँ तो तेरे दिल को कुफ्र लगता है,
रफीकों ने भुला दिया है शायद दुआ करना,
रकीबों की बद दुआओं का असर लगता है,
या खुदा ,विशाल ,तेरा चेहरा क्या हुआ ,
किसी दूसरी दुनिया का बशर लगता है.
खूबसूरती से लिखे जज़्बात ..पर यह हारा हारा सा , निराश सा क्यों लग रहा है
जवाब देंहटाएंतेरे सजदे में हमेशा रहता है मेरा सर,
जवाब देंहटाएंतू ही मेरी जानिब से बेखबर लगता है ,
वाह वाह!! बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...
सादर बधाई...
दर्द में डूबी हुई रचना ....
जवाब देंहटाएंरचना बहुत खूबसूरत है पर दर्द ज्यादा है ...
बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंअच्छी है गज़ल!! मगर सवाल का जवाब नहीं मिला!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआज इसे भी देखें-
चर्चा मंच
बहुत ही सुन्दर और शानदार शेर्।
जवाब देंहटाएं"या खुदा ,विशाल ,तेरा चेहरा क्या हुआ ,
जवाब देंहटाएंकिसी दूसरी दुनिया का बशर लगता है."
bahut khoob !
उम्दा और लाजबाब शेर ...
जवाब देंहटाएंतुमको मुबारक हो ये मंजिलें तमाम,
जवाब देंहटाएंअपना मुकाम तो खुदा का घर लगता है,
Itne shandar sher to tumhaare hi bas ki bat hei vishal ..bahut khub ...
लाजवाब!!!!!!! हर एक शेर दिल की आवाज़ लगता है
जवाब देंहटाएं"झूठ बोलूँ तो मुझको पकड़ ही लेते हो,
जवाब देंहटाएंसच बोलूँ तो तेरे दिल को कुफ्र लगता है,"
सच्चाई क़ुबूल हो....!
खूबसूरत......!!
ऐसा नहीं की मुझे लुभाता,जुल्फों का साया ना था
जवाब देंहटाएंया यौवन सावन ओढ़े मेरे द्वारे आया ना था
मुझको भी प्रेयसी की मीठी बातें अच्छी लगाती थी
रिमझिम-रिमझिम सब्नम की बरसातें अच्छी लगती थी
मुझको भी प्रेयसी पर गीत सुनाने का मन करता था
उसकी झील सी आखों में खो जाने का मन करता था
तब मैंने भी विन्दिया,काजल और कंगन के गीत लिखे
यौवन के मद में मदमाते,आलिंगन के गीत लिखे
पर जिस दिन भारत माता का,क्षत-विक्षत यह वेश दिखा
लिखना बंद किया तब मैंने,खंड-खंड जब देश दिखा
नयन ना लिख पाया कजरारे,तेज दुधारे लिख बैठा
भूल गया श्रृंगार की भाषा,मै अंगारे लिख बैठा
खुबसूरत ग़ज़ल है,.......अच्छी लगी|
जवाब देंहटाएंवक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
बहुत सुन्दर...अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-631,चर्चाकार --- दिलबाग विर्क
सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है|
जवाब देंहटाएं"झूठ बोलूँ तो मुझको पकड़ ही लेते हो,
जवाब देंहटाएंसच बोलूँ तो तेरे दिल को कुफ्र लगता है"
......जैसे बहुत से लोगों की चुप ज़बान हैं ये बोल...