इश्तिहार के इस दौर में, मेरी पहचान न पूछिए, पुती हुई दीवारों के बीच, एक खाली झरोखा हूँ मैं.
विज्ञापन के इस दौर में कौन किसकी पहचान जानता है , किसी की वास्तविक और गुणवतापूर्ण पहचान जानने के लिए वक़्त किसके पास है .....एकांत का अहसास करवाती प्रासंगिक रचना ....आपका आभार
आपकी प्रोफाइल फोटो में तो आप 'मोर' जान पड़ते हैं. इस सुन्दर कविता से तो आप 'प्योर'जान पड़ते हैं. अभी तक जो समझा आपको उससे आप 'कुछ और'जान पड़ते हैं. पर खाली झरोखे में जो देखा तो आप 'मोर एंड मोर' जान पड़ते हैं.
भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास कराती ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ..
badhai..
इश्तिहार के इस दौर में,
जवाब देंहटाएंमेरी पहचान न पूछिए,
पुती हुई दीवारों के बीच,
एक खाली झरोखा हूँ मैं.
विज्ञापन के इस दौर में कौन किसकी पहचान जानता है , किसी की वास्तविक और गुणवतापूर्ण पहचान जानने के लिए वक़्त किसके पास है .....एकांत का अहसास करवाती प्रासंगिक रचना ....आपका आभार
बहुत खूब ....आज के वैश्विक दौड़ में थोड़ी सी खाली जगह की भी बहुत अहमियत है
जवाब देंहटाएंआपकी प्रोफाइल फोटो में तो आप 'मोर' जान पड़ते हैं.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर कविता से तो आप 'प्योर'जान पड़ते हैं.
अभी तक जो समझा आपको उससे आप 'कुछ और'जान पड़ते हैं.
पर खाली झरोखे में जो देखा तो आप 'मोर एंड मोर' जान पड़ते हैं.
क्या बात है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवो शख्स जो कि भीड़ में तन्हां दिखाई दे!!
जवाब देंहटाएंवर्तमान की सच्चाई निहित है आपकी इस रचना में....
जवाब देंहटाएंपुती हुई दीवारों के बीच,
जवाब देंहटाएंएक खाली झरोखा हूँ मैं.
भावों की सुन्दर विवेचना।
समय के साथ सभी को चलना चाहिए अकेलापन कभी नहीं आयेगा |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विशाल भाई...
जवाब देंहटाएंसादर...
भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास कराती ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ..
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुती ....
जवाब देंहटाएंहकीकत बयान करती यह पोस्ट अच्छी लगी...शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंविशाल भाई, गागर में सागर समेट लाए हैं आप।
जवाब देंहटाएं------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
विशाल जी यह जोड़ना चाहूँगा " गुमनाम सही फिर भी इक नाम हूँ मैं ....."
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति !
बहुत खुबसूरत क्या ज़बरदस्त बिम्ब दिए हैं आपने..........सुभानाल्लाह|
जवाब देंहटाएंपुती हुई दीवारों के बीच,
जवाब देंहटाएंएक खाली झरोखा हूँ मैं.
सुंदर अभिव्यक्ति.
गहन
जवाब देंहटाएंइश्तिहार के इस दौर में,
जवाब देंहटाएंमेरी पहचान न पूछिए,
पुती हुई दीवारों के बीच,
एक खाली झरोखा हूँ मैं.....
ख़ूबसूरत..