मेरे अल्फ़ाज़ की
इमारत में
मेरा चेहरा तलाशने वाले
तुझको
इसकी नींव तक
जाना होगा
बड़ी ज़रखेज मिट्टी थी
कभी वहां
फसले गुल लहलहाती थी
आज बस रेत है
दबे हुए हैं जिसमें
गुलों के पिंजर कितने
इसी रेत में
उठा करते हैं
बवंडर हर रोज़
इनसे ही
मेरे अल्फ़ाज़ की
इमारतें
बनती हैं बिखर जाती हैं
मुझको पाना है
तो खुद को
तुम्हें खोना होगा
मैं तो बस रेत हूँ
रेत सा तुमको
होना होगा.
मुझको पाना है
जवाब देंहटाएंतो खुद को
तुम्हें खोना होगा
मैं तो बस रेत हूँ
रेत सा तुमको
होना होगा.
रेत सा तुमको होना होगा....कितना खूबसूरत अंदाज है ....वाकई विशाल जी, दिल की कलम से ही लिखते हैं आप. हार्दिक शुभकामनाएँ.
वर्षा जी,
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया.
आपकी स्नेहयुक्त आशीष के लिए.
प्रभावशाली प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
शुभ विजया ||
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जवाब देंहटाएंmubaarak hon
दिनेश भाई,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ,
आप भी तो एक हैं.
आप अकेले सौ के बराबर हैं.
क्या बात है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अंतर आया है आपकी लेखनी में ....
नीचे क्षणिकाएं भी गज़ब की हैं ....
तो भेजिए न सरस्वती-सुमन के लिए ...
अपनी १०,१२ क्षणिकाएं , संक्षिप्त परिचय और तस्वीर ,,,,:))
क्या बात है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अंतर आया है आपकी लेखनी में ....
नीचे क्षणिकाएं भी गज़ब की हैं ....
तो भेजिए न सरस्वती-सुमन के लिए ...
अपनी १०,१२ क्षणिकाएं , संक्षिप्त परिचय और तस्वीर ,,,,:))
मेरा चेहरा तलाशने वाले
जवाब देंहटाएंतुझको
इसकी नींव तक
जाना होगा
बड़ी ज़रखेज मिट्टी थी
कभी वहां
फसले गुल लहलहाती थी
आज बस रेत है
ओह! आज बस रेत है.
क्या कहें अल्फाज ही नहीं कुछ कहने के लिए.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मुझको पाना है
जवाब देंहटाएंतो खुद को
तुम्हें खोना होगा
मैं तो बस रेत हूँ
रेत सा तुमको
होना होगा.
बहुत सुन्दर!
बहुत सुन्दर कविता... आपके लेखन में निरंतर सुधार हो रहा है.
जवाब देंहटाएंमेरे अल्फ़ाज़ की
जवाब देंहटाएंइमारत में
मेरा चेहरा तलाशने वाले
तुझको
इसकी नींव तक
जाना होगा
बड़ी ज़रखेज मिट्टी थी
कभी वहां
फसले गुल लहलहाती थी
आज बस रेत है
waah
मेरे अल्फ़ाज़ की
जवाब देंहटाएंइमारतें
बनती हैं बिखर जाती हैं
मुझको पाना है
तो खुद को
तुम्हें खोना होगा
दर्शन से परिपूर्ण अंदाज और जीवन की वास्तविकता .....!
मेरे अल्फ़ाज़ की
जवाब देंहटाएंइमारतें
बनती हैं बिखर जाती हैं
मुझको पाना है
तो खुद को
तुम्हें खोना होगा
दर्शन से परिपूर्ण अंदाज और जीवन की वास्तविकता .....!
ख़ूबसूरत...हमेशा की तरह...
जवाब देंहटाएंमैं तो बस रेत हूँ
जवाब देंहटाएंरेत सा तुमको
होना होगा.
बहुत ही खूबसूरत रचना... हमेशा की तरह बेमिसाल...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअगर मैं कुछ न कहूँ तो...रेत बना जा सकता है..
जवाब देंहटाएंBahut Sunder kavita hai.
जवाब देंहटाएंमेरे अल्फ़ाज़ की
जवाब देंहटाएंइमारत में
मेरा चेहरा तलाशने वाले
तुझको
इसकी नींव तक
जाना होगा.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
"मेरे अल्फ़ाज़ की
जवाब देंहटाएंइमारत में
मेरा चेहरा तलाशने वाले
तुझको
इसकी नींव तक
जाना होगा"
अक्सर अंजाम देखने वाले आगाज़ नहीं देखते और
आगाज़ देखने वाले अंजाम के लिए हौसला नहीं रख पाते....!!
सुन्दर रचना..!!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंफैसला करने का हक , शायद नहीं मुझको
जवाब देंहटाएंहै हौसला जरूर आफ़ताब बनने का.
थोड़ी रौशनी बिखेरूंगा सबके लिए,
पर चलूँगा साथ मैं भी तेरे, अपने पाँव थकने तक..
आपकी टिप्पणी का सन्देश पढ़कर मेरे मन में उपरोक्त विचार आये.
बहुत सुन्दर रचना लिखी आपने, 'गुम' भी अच्छी लगी.
बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने
जवाब देंहटाएंबधाई उत्कृष्ट रचना के लिए........
आज आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (१२) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /कृपया आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कमना है /आपका ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
जवाब देंहटाएंमुझको पाना है
जवाब देंहटाएंतो खुद को
तुम्हें खोना होगा
मैं तो बस रेत हूँ
रेत सा तुमको
होना होगा.
बहुत सुंदर क्या बात है.....
बहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबिम्ब रचना तो कमाल की है !
बधाई !
behtarin...kavi ki manovyatha aaur yatharth ke dahartal se jude hone ke behtarin sanket..dher sari badhayee aaur punah amantran ke sat
जवाब देंहटाएंमैं तो बस रेत हूँ
जवाब देंहटाएंरेत सा तुमको
होना होगा.
kya baat hai......
bahut achi rachna,bahut acha likha hai,badhai!
जवाब देंहटाएंमैं तो बस रेत हूँ
जवाब देंहटाएंरेत सा तुमको
होना होगा.
सुन्दर!
बिना एकात्मता के पहचान कहाँ संभव है!