कई बार शब्द भी होते हैं निष्प्राण से कितना भी करें रुदन नहीं रेंगती जूँ किसी के कानों पर रोते रहते हैं बहुत से लोग और मुस्कराते रहते हैं थोड़े से लोग देख कर ...सुनकर उनका रुदन ....
मूर्ति निष्प्राण भले हो पर नहीं देती किसी को त्रास जीवित मनुष्यों की तरह. मैं तो जब भी बातें करता हूँ अगढ़ पत्थरों से निकल कर बाहर आ जाती है एक कविता.
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता! क्षमा करें अगर मेरी भारतीय भाषा को समझना मुश्किल है greetings from malaysia द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin शुक्रिया
अद्भुत भाव संयोजन शब्द और मूर्तिकार के लिए ......शब्द और मूर्ति बेशक निष्प्राण होते हैं लेकिन प्राण वालों में वह एक नयी चेतना का संचार करते हैं .....!
जवाब देंहटाएंसच कहा केवल भाई,लेकिन मेरा अभिप्राय सिर्फ रचना लिखने की दो विधायों से था , भाव से लिखे गए शब्द ,शब्दों से निर्मित भाव से ज्यादा असरदायक होते हैं.
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जवाब देंहटाएंकई बार
हटाएंशब्द भी होते हैं निष्प्राण से
कितना भी करें रुदन
नहीं रेंगती जूँ
किसी के कानों पर
रोते रहते हैं बहुत से लोग
और मुस्कराते रहते हैं थोड़े से लोग
देख कर ...सुनकर उनका रुदन ....
मूर्ति निष्प्राण भले हो
पर नहीं देती
किसी को त्रास
जीवित मनुष्यों की तरह.
मैं तो जब भी बातें करता हूँ
अगढ़ पत्थरों से
निकल कर बाहर आ जाती है
एक कविता.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने,कौशलेन्द्र भाई.
हटाएंपधारने का शुक्रिया.
आपको लिखने के लिए प्रेरित करते मेरे शब्द सफल हुए.शुक्रिया.
खूबसूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी बधाई स्वीकारें ||
धन्यवाद रविकर भाई.
हटाएंbadhiya kavita
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अरुण भाई.
हटाएंभाव से शब्द और शब्द से भाव का निर्माण ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीताji
हटाएंबहुत सुन्दर.....भाव से शब्द.........फिर शब्द से भाव |
जवाब देंहटाएंشکریہ عمران بھائی.
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हटाएंواہ جناب دل خوش ہو گیا آپ کی اردو سے
हटाएंSunder rachna.
जवाब देंहटाएंAabhaar. . . . !!
धन्यवाद संतोष जी.
हटाएंअद्भुत...शब्दों से निर्मित भाव निष्प्राण रचना में भी प्राण फूंक देते हैं...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने संध्या जी.धन्यवाद.
हटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,rekhaji.
हटाएंसच है की भाव होते हाँ फिर शब्द बनते हैं और फिर अंत में शब्द ही भाव उत्पन करते हैं ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति है ...
बहुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंभाव को मोल भी कहते हैं, भाव हैं तो ही शब्दों का मोल है।
जवाब देंहटाएंशब्दों से
जवाब देंहटाएंभाव का निर्माण
मूर्तिकार की रचना
तराशी हुई
सुन्दर
मनमोहक
पर निष्प्राण
fir bhi kahin sabke bheetar tak apna prabhav chhod jaate hain....
बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंशब्दों से
जवाब देंहटाएंभाव का निर्माण
मूर्तिकार की रचना
तराशी हुई
सुन्दर
मनमोहक
पर निष्प्राण.
बहुत सुंदर प्रस्तुति. बेहतरीन अभिव्यक्ति. अभिनन्दन.
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
जवाब देंहटाएंक्षमा करें अगर मेरी भारतीय भाषा को समझना मुश्किल है
greetings from malaysia
द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
शुक्रिया