एक नज़्म
रणजीत कौर ग़मगीन के नाम
हंसा था मैं
जब तूने
अपना तखल्लुस
ग़मगीन बताया था
और तू मेरी हंसी को
अपने ग़मों की तरह
पी के बोली थी
शायर को सारे ज़माने का गम होता है
इस लिए ग़मगीन होता है
या फिर शायर को कोई गम नहीं होता
इसी लिए ग़मगीन होता है
और मैं खुल के हंसा था
और तूने
मेरे सख्त हाथों को
नर्म सी थपकी दी थी
और कहा था
बस लिखते रहना
और मिलते रहना
तब तेरे हाथों से
तेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
हम मिलते रहे
अनकिये वायदों की तरह
बिछड़ भी गए
अनकिये वायदों की तरह
मैं लिखता रहा
अनकिये वायदों में जकड़ा
आज जबकि मुझको
कोई गम नहीं
तेरा भी गम नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
कई बार दिल करता है
जवाब देंहटाएंकि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
बहुत बढ़िया ..... संवेदनात्मक .... भावपूर्ण रचना ...
sagebob ji,
जवाब देंहटाएंअति भावभीनी दिल को छूती प्यारी सी अभिव्यक्ति.कृपया,रंजीतकौर
गमगीन जी के बारे में कुछ बताएँ.आपकी मेरे ब्लॉग 'मनसा
वाचा कर्मणा'पर की गयी टिप्पणियों के लिए मै आभारी हूँ.मैंने आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है.कृपया,अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत कीजिये.
बहुत खूबसूरती से भावों को उकेरा है ..
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
जवाब देंहटाएंकि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
bahut hi khubsurat !
abhaar!
आज जबकि मुझको
जवाब देंहटाएंकोई गम नहीं
तेरा भी गम नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ...................
...........................................
दिल की कलम से लिखते लिखते आप ने दिल को छू लिया..
बहुत ही संवेदनशील रचना
बहुत बहुत बधाई
आज जबकि मुझको
जवाब देंहटाएंकोई गम नहीं
तेरा भी गम नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
दिल को छूती प्यारी सी अभिव्यक्ति....
"आरिजो लब सादा रहने दो
जवाब देंहटाएंताजमहल में रंग ना डालो"
खामोश गाजीपुरी का शेर सादगी की जिस सम्मोहन शक्ति को व्यक्त करता है, वही सम्मोहन आपके ब्लॉग महसूस होता है... सीधी सादी अभिव्यक्ति बाँध लेती है.... लकीरें, चाह, शीतयुद्ध, एहसास का सफ़र, कब्र..... वाह.... आनंद आ गया...
आपके सौजन्य टीप ने मेरी हौसला आफजाई करने के साथ यहाँ का रास्ता दिखाया... आपका बेहद शुक्रिया
आपका सच दुनिया का सच बनता रहे... इन्हीं शुभकामनाओं के साथ....
दिल को छू लेने वाली एक संवेदनशील रचना....
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
हाँ............
जवाब देंहटाएंदूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
रचना, जब अपने पाठकों से खुद बातें करने लगे
तो उस रचना का सार्थक हो जाना
प्रमाणित हो जाता है ...
एक सार्थक कृति पर बधाई स्वीकारें .
शायर को सारे ज़माने का गम होता है
जवाब देंहटाएंइस लिए ग़मगीन होता है
या फिर शायर को कोई गम नहीं होता
इसी लिए ग़मगीन होता है
सोचने लायक विषय है ।
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया । बढ़िया प्रस्तुति ।
दर्द का रिश्ता एक शायर, उसकी रचना और उसकी प्रेरणा के मध्य स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है आपने..
जवाब देंहटाएंतभी तो.... शायर कहता है- सारे ज़माने का दर्द हमारे जिगर में क्यों?
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
जवाब देंहटाएंकि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है
बहुत ही खूबसूरत रचना....यूं कहूं जबरदस्त रचना...
बहुत बढ़िया लिखा है आपने। दो तीन बार पढ़ गया मैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी नज़्म बहुत ही सजीव और दिल को छूने वाली लगी मुझे !
जवाब देंहटाएंवाकई, बहुत खूबसूरत नज़्म है।
जवाब देंहटाएंexcellent...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंमीठी यादें ही हमारी धरोहर हैं ...शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंदिल को छूती प्यारी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंदूर परदेस से
जवाब देंहटाएंतेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.bahut khoob ..dil me utari dil se kahi gayee bate....
बस लिखते रहना
जवाब देंहटाएंऔर मिलते रहना
तब तेरे हाथों से
तेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
बहुत खूबसूरती से भावों को उकेरा है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंदानिश जी के कमेन्ट को मेरा ही मान लें। दिल को छू कर निकली रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
जवाब देंहटाएंकि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है
वाह, कविता के कथ्य में ताजगी है।
वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान
atyant bhawpurn.
जवाब देंहटाएंशायर को सारे ज़माने का गम होता है
जवाब देंहटाएंइस लिए ग़मगीन होता है
या फिर शायर को कोई गम नहीं होता
इसी लिए ग़मगीन होता है.
बहुत ही अच्छी नज़्म, सुंदर मनोभावों को दर्शाती सीधे दिल उतरती रचना. बधाई स्वीकारें.
कई बार दिल करता है
जवाब देंहटाएंकि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
bahut hi pasand aai rachna ,badi gahri baate hai ye .sundar .
"हंसा था मैं
जवाब देंहटाएंजब तूने
अपना तखल्लुस
ग़मगीन बताया था
और तू मेरी हंसी को
अपने ग़मों की तरह
पी के बोली थी
शायर को सारे ज़माने का गम होता है
इस लिए ग़मगीन होता है
या फिर शायर को कोई गम नहीं होता
इसी लिए ग़मगीन होता है
और मैं खुल के हंसा था
और तूने
मेरे सख्त हाथों को
नर्म सी थपकी दी थी
और कहा था
बस लिखते रहना
और मिलते रहना
तब तेरे हाथों से
तेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
हम मिलते रहे
अनकिये वायदों की तरह
बिछड़ भी गए
अनकिये वायदों की तरह
मैं लिखता रहा
अनकिये वायदों में जकड़ा
आज जबकि मुझको
कोई गम नहीं
तेरा भी गम नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है. "
पूरी नज्म के साथ बेइंसाफी होगी यदि
उसकी एक-दो लाइनों के बारे में कहा जाए...
आपने तो लाजवाब लिख दिया है..
बस उस दूर परदेस में रहनेवाली का पता दे दीजिये...
उसकी हंसी की खनक को सुनने का मन हो आया है...!!
शायद ऐसा ही कुछ :
जवाब देंहटाएं" तू तो 'ग़मगीन ' हो कर भी ग़म से निजात पा गयी ,
और मैं न चाहते हुए भी ग़मगीन हो गया "
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01-03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंक्या सच में तुम हो???---मिथिलेश
यूपी खबर
न्यूज़ व्यूज तथा भारतीय लेखकों का मंच
charcha manch par chune jane ke liye bahut bahut badhai sagebob ji
जवाब देंहटाएंसुन्दर अहसास सजाये रचना....
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ गया आपकी रचना पढ कर
"गुलशन की फ़क्त फ़ुलों से नहीं...कांटों से भी जीन्नत होती है
जीने के लिये इस दुनिया में... गम की भी जरुरत होती है"
बहुत सुन्दर नज़्म .....गहन अनुभूतियों की मार्मिक अभिव्यक्ति आपकी रचनाशीलता का स्वयं परिचय देती है |
जवाब देंहटाएंमहसूस ही कर पा रहा हूँ .....कितना दर्द उतार दिया है ?
आज जबकि मुझको
जवाब देंहटाएंकोई गम नहीं
तेरा भी गम नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ....
Bahut hi dil se uthte huve jajbaat hain ... Lajawaab rachna hai ...
sunder lagi rachna dil ko chhu gai....
जवाब देंहटाएंतब तेरे हाथों से
जवाब देंहटाएंतेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
बहुत ही भाव भीनी...प्यारी सी रचना
बहुत ही खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंतेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
हम मिलते रहे
बहुत सुंदर...बधाई।
शायर को सारे ज़माने का गम होता है
जवाब देंहटाएंइस लिए ग़मगीन होता है
या फिर शायर को कोई गम नहीं होता
इसी लिए ग़मगीन होता है
-- bahut khoobsoort
bdhaai ho
bahut hi .beintaha khoob surat abhivykti.
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
bahut hi marm saparshhi rachna.
badhai swikaren
poonam
मेरे सख्त हाथों को
जवाब देंहटाएंनर्म सी थपकी दी थी
और कहा था
बस लिखते रहना
और मिलते रहना
तब तेरे हाथों से
तेरी खुशबू
मेरी रूह में
उतर आयी थी
........
khushbu rooh ki zaroorat hai...likhte rahiye...khushbudar rachna ke liye badhayee.
Meri rachnaaon ki sarahna ke liye bhi dhayavaad.
इस रचना में लौकिक और आलौकिक भाव की अभिव्यक्ति हुई है .....
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
मार्मिकता के साथ कही गयी पंक्तियाँ ....किसी के दूर होने पर उसके पास होने का बोध करवाती है ....पर हंसने की आवाज आना सच में भाव प्रवण है
फिर भी
जवाब देंहटाएंकई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस
ग़मगीन रख लूं
हाँ............
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
bahut khoobsurat ehsaas...
शायर को सारे ज़माने का गम होता है इसलिए वह ग़मगीन होता है ..
जवाब देंहटाएंदास्तान-ए- तखल्लुस बढ़िया है !
ग़म से लबरेज़ आपकी सुन्दर -सी रचना पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.शेर है:-
जवाब देंहटाएंग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा,
दम के जाने का निहायत ग़म रहा.
यानी ग़म से निजात कभी नहीं मिलती.
भावो की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति .आखिरी पंक्तियाँ मन को छू जाती हैं.
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर बेहतरीन नज्मे देखकर दिल बाग़-बाग़ हो गया , पंक्तिया दिल को छुनेवाली है , बेहतरीन काव्य के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंहम मिलते रहे अनकिये वायदों की तरह
जवाब देंहटाएंबिछड़ भी गए अनकिये वायदों की तरह
waaah kya baat hai
dil men utar gayi rachna
bahut sundar
badhayi / aabhaar
गमगीन कर देने वाली हंसी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता लिखी आपने..बधाई.
जवाब देंहटाएं_______________
पाखी बनी परी...आसमां की सैर करने चलेंगें क्या !!
दिल से निकली दिल की आवाज क्या कहने !
जवाब देंहटाएंकोन है -----?
प्रिय sagebob जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
जनाब ! इतनी ख़ूबसूरत नज़्म !
प्यार की पाकीज़गी में नहाई हुई …
और पाकीज़ा मुहब्बत के एहसास से भिगोती हुई …
बहुत ख़ूबसूरत ! वाह !
आज जबकि मुझको कोई ग़म नहीं
तेरा भी ग़म नहीं
फिर भी
कई बार दिल करता है
कि अपना तखल्लुस ग़मगीन रख लूं
…………………
दूर परदेस से
तेरे खिलखिला कर हंसने की आवाज़ आई है …
भरपूर दाद आपके नाम !
:) … लेकिन आप कुछ अच्छा सा तख़ल्लुस रख ही लें …
या अपना नाम बताएं …
संबोधित करते हुए यार , तक़लीफ़ -सी होती है
आपके पास नहीं आ पाते …
मुलाकात अधूरी-सी महसूस होती है जब-तब …
तीन दिन पहले ही था …
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दूर परदेस से
जवाब देंहटाएंतेरे खिलखिला कर
हंसने की आवाज़ आयी है.
bahut hi sunder, aasnu aur muskurahat...
shubhkamnayen