09 मार्च 2011

वो ख़त

मैंने पढ़ लिया है वो ख़त
जो तूने मेरे नाम लिखा था
पर भेजा कभी नहीं
तेरे अहसासात
तेरी पाकीजगी
तेरी मजबूरी
तेरी हिदायत
सब पढ़ लिया है मैंने
तू भी पढ़ ले मेरा वो ख़त
जो मैंने तेरे नाम लिखा है
पर भेजा कभी नहीं
मेरी मुहब्बत
मेरी दीवानगी
मेरा जुनूं
मेरा इंतज़ार
सब पढ़ लो न
और लिख दो मेरे नाम
इक नया ख़त
चाहे भेजो कभी नहीं
पर मैं पढ़ ही लूंगा
सब का सब  

44 टिप्‍पणियां:

  1. बिना कहे सुने लिखे पढ़े बातें समझने और जानी का अपना अलग आनंद है....

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  2. जब मन मिलता हो तो बिना लिखे-कहे बहुत कुछ पढ लिया जाता है।

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  3. दिल के करीब से गुज़रती नज़्म......बधाई!

    ----देवेंद्र गौतम

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  4. चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब

    बड़ी अलग रचना .... अच्छी लगी...

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  5. बहुत खूब वो खत जो लिख लिया पर भेजा नही ... पढ़ भी लिया पर भेजा नही ...
    बहुत लाजवाब ख्याल है ...

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  6. कहते हैं न पहुँचे ख़तों को उनके पाने वाले तक पहुँचाना बड़े पुण्य का काम होता है, लेकिन जिनका मजमून बिना पहुँचे ही पहुँचकर अपनी बात कह जाए उनका क्या.. अच्छी भावनाओं की अभिव्यक्ति देखने को मिली इस कविता में!!

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  7. इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    जिसने जिन्दगी में इश्क को महसूस किया है उसके लिए किसी की भावनाएं अपनी भावनाएं बन जाती हैं और जब भावनाएं एक जैसी हैं तो समझने में देर नहीं लगती द्वेत भाव का ख़त्म हो जाना और खुद को किसी में स्थापित कर देना ही तो सच्चे प्यार की निशानियाँ हैं ...आपकी रचना इन भावों से ओत प्रोत है

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  8. kya baat hai bhaiyaa....bina padhe hee jaan gaye dil ki baaton ki....hum dono ek hee kashtee ke musaafir hain... ;-)

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  9. प्रेम कि मौन भाषा बहुत कुछ अनकहे ही कह जाती. सुंदर.

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  10. और लिख दो मेरे नाम
    इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं

    यह भी खूब अहसास है ।
    सुन्दर ।

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  11. बेहद खूबसूरती से पिरोई हुई माला है-- आपकी नज्मे और कविता वेसे भी दिल के करीब होती है --लाजबाब --

    मेरी मुहब्बत
    मेरी दीवानगी
    मेरा जुनूं
    मेरा इंतज़ार
    सब पढ़ लो न
    और लिख दो मेरे नाम
    इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब

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  12. अपनों की बातें बिना लिखे-बोले, पढ़ी-सुनी जा सकती हैं।
    अच्छी कविता।

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  13. दिल से दिल का सच्चा रिश्ता यही तो होता है। बहुत खुब।

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  14. अच्छी telepathy है दोनों के बीच , ख़त तो केवल औपचारिकता भर हैं.
    यही सच्चे प्रेम की ऊंची अवस्था है.
    सुंदर अभिव्यक्ति !

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  15. सुभानाल्लाह......बहुत खूबसूरत अहसास हैं......मुहब्बत की पाकीज़गी झलकती है इस पोस्ट में.....बहुत खूब

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  16. बहुत खूब.....

    प्यार में कोरे कागज भी पढ़े जाते हैं..

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  17. बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |बहुत बहुत बधाई
    आशा

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  18. इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब.....

    संवेदना से भरी बहुत सुन्दर रचना....

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  19. दिल से दिल की बात ही निराली है.खत में भी लिखो न लिखो पर बात दिल से निकली तो दिल तक पहुंच ही जायेगी.आखिर खुदा का डाकखाना है दिल.
    सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत आभार.

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  20. अच्छा किया जो उसकी मजबूरी जान गए :)

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  21. प्रिय बंधुवर
    सस्नेह अभिवादन !

    वो ख़त प्रेम की एक और सुंदर अभिव्यक्ति …
    … लेकिन बुरा मत मानें , प्लीज़
    दिल पर दस्तक नहीं दे पाई यह नज़्म …
    बहरहाल अच्छी रचना तो है ही …


    शुभकामनाएं !
    मंगलकामनाएं !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  22. चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब
    khat se kuchh nata lagta hai aapka ,badi khoobsurati se kah lete hai ye saare bhav .khat ki ahmiyat ab na ke brabar ho gayi hai jabki isse behtar kuchh nahi raha ......sundar rachna .

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  23. मैंने पढ़ लिया है वो ख़त
    जो तूने मेरे नाम लिखा था
    पर भेजा कभी नहीं
    तेरे अहसासात
    तेरी पाकीजगी
    तेरी मजबूरी
    तेरी हिदायत
    सब पढ़ लिया है मैंने.....

    बहुत ही कोमल... बहुत ही सुन्दर भावनाएं...
    इस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई ....

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  24. ख़त को किताबे-दिल पर लिखिए,भेजने की ज़रुरत ही नहीं और असर १००%.

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  25. और लिख दो मेरे नाम
    इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब.......

    इसे ही कहते हैं सच्चा प्रेम जिसमे बिने लिखे और पढ़े दिल अपने आप उनके दिल की बातें समझ जाता है... बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  26. prem ke komal ahasas prmi padh hi lete hai
    khat me likhne ki jarurat bhi nahi hai...
    bahut sunder.....

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  27. इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब
    ..............................
    दिल की कलम से ख़त लिख्नेगे तो ख़त पढ़ ही लिया जाएगा...
    अभिभूत हो गया दिल की अभिव्यक्ति पढ़कर.............

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  28. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  29. इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब .....

    awesome !

    .

    जवाब देंहटाएं
  30. खूबसूरत अहसास ! आप अपनी बात कहने में सफ़ल हुए भाई जी ! शुभकामनायें आपको !

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  31. सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत आभार|

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  32. Aapke khushbu se bhare khat ka ek ek harf dil ko chhoo gaya..umda ....behad umda.

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  33. kya baat hai dost, maza aa gaya. kitna komal aur dil ko shoone vala bhav hai

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  34. Dil ne likha hai aaj khat dost ke naam
    Pehli baar bheja hai humne unhe salaam
    Na dil samaj paya aur na hum, ki kya likhe
    Likh di hai humne duwaye hazaro unke naam

    bahut khub rachna

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  35. और लिख दो मेरे नाम
    इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब
    wah kitni sundar kalpna hai......

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  36. jab dil ne dil se aankhon ne aankhon se sab kah diya to shabdon ki jaroorat hi kya.....bahut khoob..

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  37. और लिख दो मेरे नाम
    इक नया ख़त
    चाहे भेजो कभी नहीं
    पर मैं पढ़ ही लूंगा
    सब का सब

    Dil ko dil se raah....

    जवाब देंहटाएं
  38. kya baat hai ,. waah waah , prem ki gahri maun abhivyakti .. badhayi ho ji .. i am speechless !!

    --------------

    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
    विजय

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.