रात के पिछले पहर के
टिमटिमाते हुए तारे सा टूट कर
तेरे शहर की उस गली के
उस मकां की छत से रूठकर
एक आवारा बादल की तरह
मैं चला आया था कभी
सातों समन्दरों में मिटने की गरज से
खुद को डुबो आया था कभी
आज फिर वही आवारा बादल
तेरे शहर में लौट आया है
अपने दामन में यादों की
नमी को भर लाया है
दिल करता है तेरे शहर की उस गली में
कुछ पल को ठहर जाऊं मैं
अगर तुम इज़ाज़त दो तो
उस छत पे बरस जाऊं मैं
वो छत जिसकी हवा के पन्नो पर
तुमने मेरे लिए इक पैगाम लिखा था
वो छत जिसकी मुंडेर पर तुने
इक पत्थर के टुकड़े से मेरा नाम लिखा था
उन धुंधले से हुए शब्दों को
इक बार भिगो आऊँ मैं
अगर तुम इज़ाज़त दो तो
उस छत पे बरस जाऊं मैं
मेरी दुश्मन तो नहीं है लेकिन
मेरी रकीब है वो छत
दुनिया की नज़रों से ओझल है
पर खुदा के बहुत करीब है वो छत
सर को अपने झुका
इक सजदा तो कर आऊँ मैं
अगर तुम इज़ाज़त दो तो
उस छत पे बरस जाऊं मैं
उसी छत पे आज मुझे
शाम के गहराते अन्धिआरे में
दो परछाईया नज़र आतीं हैं
शायद छत की मुंडेर के
किसी सूखे से गमले में
फिर कोम्पलें खिली जाती हैं
उन अधखिली सुर्ख कलिओं को
फूल बनने की दुआ दे आऊँ मैं
अगर तुम इज़ाज़त दो तो
उस छत पे बरस जाऊं मैं
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंउसी छत पे आज मुझे
जवाब देंहटाएंशाम के घहराते अन्धिआरे में
दो परछाईया नज़र आतीं हैं
सगेबोब जी बड़े जिगरे से लिख दी ये बात .....
क्या कहूँ .....?
ऐसे में इज़ाज़त खान मिलने वाली है .....?
फिर भी दुआ है आपकी तमन्ना पूरी हो ....
मन की सुंदर भावाभिव्यक्ति .....!!
kripyaa ye word verification htaa lein ....
यकीन माने दिल खुश हो गया. दिल से निकला लगता है हर एक शब्द और हाँ उस छत पर तो बाढ़ ही आ गयी होगी अगर इजाजत मिल गयी होगी
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटा दें इससे सबको असुविधा होगी
बहुत ग़मगीन हो गया मन... सुन्दर कविता ..
जवाब देंहटाएंवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंawwww....very sweet.....bohot pyaari nazm hai :)
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत...बहुत ही प्यारी और..क्या लिखूँ...3-4 बार पढ़ डाला पर हर बार नई लगती सी...वैसे तो हर पंक्ति दिल को छूने वाली है पर निम्न पंक्तियों में न जाने क्या है...
जवाब देंहटाएं"मेरी दुश्मन तो नहीं है लेकिन
मेरी रकीब है वो छत
दुनिया की नज़रों से ओझल है
पर खुदा के बहुत करीब है वो छत
सर को अपने झुका
इक सजदा तो कर आऊँ मैं
अगर तुम इज़ाज़त दो तो
उस छत पे बरस जाऊं मैं"
Very good again !
जवाब देंहटाएंबेहद रूमानी..
जवाब देंहटाएंप्यार के एहसास की अनूठी अभिव्यक्ति...
भूल जा कि सजाए थे , मोहब्बत के नुकूश ,
जवाब देंहटाएंनक्श का कहना ही क्या बन के बिगड़ जाते हैं
भाव पूर्ण प्रस्तुति !