छोटी की कविता ने सारे राज़ खोल दिए .... बहुत खूब ....
कम शब्दों में बड़ी बात कह दी आप ने बहुत सुंदर !
इसे कहते हैं.. कम लिखे को ज़्यादा समझना!!हर व्यथाएँ लिखी नहीं जातीं!!
बहुत खूब .... धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
:)kya comment kar sakta hai koi ispar...bohot khoob dost :)
कम शब्दों में बड़ी बात.....
.आज कल के बेटे! और ...सदियों से वैसी ही होती हैं माएं।उन्हें सब है पता....
Very true! A beautiful poem.
गहरी बात कही है आपने कम शब्दों में ही धन्यबाद
एक बेटे की मजबूरी , ममता की व्यथा और जनरेशन गैप सब कुछ बता गई आपकी चिट्ठी. वाकई सबसे लम्बी है . सुंदर कटाक्ष . palkonkesapne.blogspot.com पर भी प्रतीक्षित .
व्यथामजबूरीऔरग्लानिअब इस से ज्यादा और किनअलफ़ाज़ में कह दी जाए ... ??बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति
एक छोटी सी कविता आज का सत्य इतनी सटीकता से प्रस्तुत कर गयी..बहुत प्रभावशाली मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
शब्द कम है लेकिन गहरी बात कह रहे है।
thought provoking.
kuch hi shabdon ki lambee chitthi ... bahut kuch kah gayi ... baht kuch bata gayee ...
बहुत खूब ..... ! आप कामयाब हैं ! शुभकामनायें !
लगता है कई वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है कि माँ बेटे को नज़र भर देखने के लिए तरस रही है और लायक बेटा माँ की ममता की कीमत कुछ पैसों से तोल रहा है . एक विडम्बना का सही चित्रण !
मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे. तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाबलेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.
छोटी की कविता ने सारे राज़ खोल दिए .... बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बड़ी बात कह दी आप ने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
इसे कहते हैं.. कम लिखे को ज़्यादा समझना!!हर व्यथाएँ लिखी नहीं जातीं!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
:)
जवाब देंहटाएंkya comment kar sakta hai koi ispar...bohot khoob dost :)
कम शब्दों में बड़ी बात.....
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जवाब देंहटाएंआज कल के बेटे!
और ...
सदियों से वैसी ही होती हैं माएं।
उन्हें सब है पता...
.
Very true! A beautiful poem.
जवाब देंहटाएंगहरी बात कही है आपने कम शब्दों में ही
जवाब देंहटाएंधन्यबाद
एक बेटे की मजबूरी , ममता की व्यथा और जनरेशन गैप सब कुछ बता गई आपकी चिट्ठी. वाकई सबसे लम्बी है . सुंदर कटाक्ष .
जवाब देंहटाएंpalkonkesapne.blogspot.com पर भी प्रतीक्षित .
व्यथा
जवाब देंहटाएंमजबूरी
और
ग्लानि
अब इस से ज्यादा और किन
अलफ़ाज़ में कह दी जाए ... ??
बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति
एक छोटी सी कविता आज का सत्य इतनी सटीकता से प्रस्तुत कर गयी..बहुत प्रभावशाली मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशब्द कम है लेकिन गहरी बात कह रहे है।
जवाब देंहटाएंthought provoking.
जवाब देंहटाएंkuch hi shabdon ki lambee chitthi ... bahut kuch kah gayi ... baht kuch bata gayee ...
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..... !
आप कामयाब हैं ! शुभकामनायें !
लगता है कई वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है कि माँ बेटे को नज़र भर देखने के लिए तरस रही है और लायक बेटा माँ की ममता की कीमत कुछ पैसों से तोल रहा है . एक विडम्बना का सही चित्रण !
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