01 फ़रवरी 2011

अहसास का सफ़र


पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
कुछ भी तो नहीं है

पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
मैं तो हूँ 

पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
तुम भी तो हो 

पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
मैं भी हूँ,तुम भी हो 

पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
सिर्फ तुम ही तो हो

 पहाडी गाँव के 
अकेले कमरे के 
अँधेरे सन्नाटे में
सब कुछ तो है 

44 टिप्‍पणियां:

  1. अलग अन्दाज़ की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. एक तुम है तो सब कुछ है .... :)

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  3. पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सिर्फ तुम ही तो हो

    पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है
    hame bahut pasand aai aapki rachna

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  4. कम शब्द, शानदार अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनाएं !

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  5. कम शब्दों की करामाती अभिव्क्ति सिर्फ आप ही कर सकते हे --
    पहाड़ो पे बसा एक गाँव,
    सन्नाटा ! सबकुछ !
    पहाड़ो पे तो जीवन हे ,सबकुछ हे वहां
    यहाँ कुछ नही -सिर्फ कोलाहल हे --कुछ नही

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  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति......काफी गहरा दर्शन छिपा है इस पोस्ट में....बधाई

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  7. "पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सिर्फ तुम ही तो हो

    पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है "

    बहुत उम्दा लेख । कोई एक हो तो सब कुछ साथ होता है । सुन्दर रचना ।

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  8. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (3/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  9. शानदार अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

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  10. प्रेम गली अति साँकरी, जा में दो न समाएँ!!

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  11. जब हम तो सब कुछ है
    एकदम अंदाज मे अपने दिल की बात को प्रस्तुत करना तो कोई आप से सीखे।
    शुभकामनाये

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  12. sundar aur shashakt kavita ! prem ko nye tarah se abhivyakt kar rahe hain aap !

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  13. तुम ही तो हो .... मैं ही तो हूँ.... सभी कुछ तो है.....
    बेहतरीन प्रस्तुति ......

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  14. बहुत अच्छी लगी ये अभिव्यक्ति ! सब कुछ कह गयी !

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  15. बहुत अच्छा !
    ---------
    मेरी बदमाशियां......
    http://rimjhim2010.blogspot.com/

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  16. जो तुम हो और मैं हूँ, तो सब कुछ है....न तुम हो न मैं, तो दुनिया है...

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  17. पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है


    अंततः स्वीकार कर लिया आपने ...रहस्यमयी है कविता ...आपका आभार

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  18. तुम ही तो हो , ....सब कुछ है !
    ठीक ही है!

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  19. बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण

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  20. कुछ भी नहीं पर एसा लगता है की फिर भी सब कुछ है !

    भावनाओं को दर्शाती प्रस्तुति !

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  21. पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है ....

    अच्छी प्रस्तुति। हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
    बधाई स्वीकारें !

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  22. सही बात। तुम हो तो सबकुछ है तुम नही तो कुछ भी नही।

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  23. सिर्फ तुम ही तो हो
    सब कुछ तो है

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें

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  24. pahadi gaon ke
    akele kamare ke
    andhere sannate me....kuchh bhi nahi
    tum ho
    main hoon
    ham dono hain
    sab kuchh to hai
    sundar..

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  25. पहली बार आपके व्लाग पर आया और बहुत खुबसूरत कविता पढने की मिली सार्थक पोस्ट , बधाई

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  26. बहुत उम्दा कोई एक हो तो सब कुछ साथ होता है । सुन्दर रचना ।

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  27. कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

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  28. बहुत सुन्दर और सशक्त रचना!

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  29. गहन अर्थों को समेटे सुंदर प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  30. कुछ भी नहीं है .....
    मैं हूँ ...
    तुम भी हो ....
    हम दोनों हैं ...
    सिर्फ तुम हो ....
    सब कुछ है ....
    अँधेरे कमरे में ...
    अकेले कमरेमें ....
    कुछ भी नहीं है ....
    सब कुछ है ....

    आपने तो कन्फ्यूजिया दिया .........
    आती हूँ ....फिर से ....

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  31. aapne to gagar me sagar bhar diya hai ,isse jyda kya likhun.
    bahut hi behtareen avamgahn abhivykti.
    badhai--------
    poonam

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  32. कुछ न कह कर तो सब कुछ कह दिया आपने लाजवाब प्रस्तुति. आपके ब्लॉग की ये मिश्री की डलियां (मुझे तो मिश्री ही लगती है)वैसे भी मिठास भर देती हैं मन में आपकी कविताओं में और आपके ब्लॉग में

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  33. पहाडी गाँव के
    अकेले
    कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है


    बस और क्या दरकार......ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति

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  34. एक क्षण को लगा की प्लेयर का की सूई फंस गयी है -मगर यह तो एक नया प्रयोग रहा !

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  35. kuch nahee me hee to sab kuch chupaa hotaa hai bas dekhane vaale kee nazar caahiye|

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  36. कित्ती सुन्दर कविता .. वसंत पंचमी पर ढेर सारी बधाई !!

    _______________________
    'पाखी की दुनिया' में भी तो वसंत आया..

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  37. आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  38. "पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सिर्फ तुम ही तो हो

    पहाडी गाँव के
    अकेले कमरे के
    अँधेरे सन्नाटे में
    सब कुछ तो है "

    ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.वसंत पंचमी की शुभकामनाएं!

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  39. rachna achi hai par yek jagah sirf tum hi to ho aur antim sab kuch hai jara samajh nahi pai......

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  40. Jisne ekaant me "mai" ko paya, phir "uske" bhi
    darsan kiye, to usne to sabhi kuch prapt kar liya.'poorn ida poorn idam Poornaat,poornam udachyet'. Hum to yahi samaz paaye aapki sunder aabhivyakti se. Aapka kya kehna hai?

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  41. सब कुछ और कुछ नहीं के बीच सिर्फ सोच का अंतर है, बखूबी बयां किया आपने !

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.