तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है
चाँद है गुमशुदा
रात है ग़मज़दा
किस से पूंछू पता
तेरी खुशबूयों का
ये हवा भी तो रुख़सत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
दिल मेरा फ़र्द है
आँख भी ज़र्द है
सांस भी सर्द है
दर्द ही दर्द है
क्या दीवाने की हालत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
मैं न मुझको मिला
तू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
माना मजबूर हो
इसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
मैं न मुझको मिला
जवाब देंहटाएंतू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा ,
बहुत सुन्दर ...
दिल से लिखी आपकी यह रचना सीधे दिल तक पहुंचती है।
जवाब देंहटाएंमैं न मुझको मिला
जवाब देंहटाएंतू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
जीवन भी क्या है ...जिसे हम चाहें वह हमसे दूर और जिसे न चाहें वह हमारे करीब ...दिल भी क्या क्या करता है ....जब जब यह खाली होता है ...बहुत सुन्दरता से भावों को पेश किया है आपने ..शुक्रिया आपका
वाह सुन्दर अभिव्यक्ति विशाल जी....
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंBeautifully expressed !!
जवाब देंहटाएंI loved reading it.
खुबसुरत एहसासों से सजी सुदंर रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंbahut hee vadiya hai ji
जवाब देंहटाएंAti Uttam Bhai Sahab.
जवाब देंहटाएंमाना मजबूर हो
जवाब देंहटाएंइसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
bahut sunder,komal bhav.
क्या विशाल भाई आज १८ साल के बच्चे का दिल कहाँ से ले आये..
जवाब देंहटाएंउमरिया तो भजन की हो रही है..
मैं न मुझको मिला
जवाब देंहटाएंतू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति......
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
जवाब देंहटाएंकैसी बेवक़्त आफ़त हुई है
Wah Wah!
Just One word to describe it "Beautiful"
Thanks for sharing!
माना मजबूर हो
जवाब देंहटाएंइसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
विशाल जी देखिये चाँद को उसने भेज दिया है आपके पास.
चाँद को 'राकेश' भी कहतें है.परन्तु आप इतने विशाल हैं की
राकेश बिलकुल कन्फ्यूज्ड है.
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
जवाब देंहटाएंकैसी बेवक़्त आफ़त हुई है
मिलने की चाह में यह सब होता ही है , बहुत खूब .....
दिल मेरा फ़र्द है
जवाब देंहटाएंआँख भी ज़र्द है
सांस भी सर्द है
दर्द ही दर्द है
क्या दीवाने की हालत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
bahut sunder panktiyan.sunder prastuti,badhaai aapko.
सुंदर शब्दों से सजा यह गीत बहुत प्यारा लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत.....शानदार
जवाब देंहटाएं" वक्फ हिरमानोयास रहता है ,
जवाब देंहटाएंदिल है कुछ उदास रहता है ,
तुम तो ग़म दे के भूल जाते हो
मुझ को एहसाँ का पास रहता है. "
बढ़िया ग़ज़ल , विशाल जी , बधाई !
बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंWow! ख़ास तौर से अंतिम पंक्तियाँ कितनी ख़ूबसूरत हैं विशाल जी....
जवाब देंहटाएंवाह विशाल जी , बेहतरीन रचना !...कभी कभी ऐसे ही किसी अपने की बहुत याद आती है तो शिद्दत से मिलने का दिल करता है। उम्दा अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंचाँद है गुमशुदा
जवाब देंहटाएंरात है ग़मज़दा
किस से पूंछू पता
तेरी खुशबूयों का
ये हवा भी तो रुख़सत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है...
बेहद शानदार.... लाजवाब नज़्म.....
दिल मेरा फ़र्द है
जवाब देंहटाएंआँख भी ज़र्द है
सांस भी सर्द है
दर्द ही दर्द है
क्या दीवाने की हालत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
लाजवाब ,शानदार बहुत खूब विशाल जी बधाई
माना मजबूर हो
जवाब देंहटाएंइसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है.
दिल से लिखी हुई नज़्म,बहुत खूब.
हसरत जब शिद्धत से भी की जाए तो खुबसूरत उल्फत हो जाती है ..नर्म,मुलायम,मखमली सी ...बेहद खुबसूरत
जवाब देंहटाएं"माना मजबूर हो
जवाब देंहटाएंइसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है"
कितनी खूबसूरत सी मजबूरी है...
ऐ काश कि चाँद उतर आता छत पे
और ये हसरत पूरी कर जाता....!!
विशाल भाई, आप तो अपने रकीब निकले:)
जवाब देंहटाएं"वो जो था हादसा, तू उसे भूल जा, मैं भी भूला तो बरकत हुई है ....."
जवाब देंहटाएंमैंने आपकी कविता को गाया
जवाब देंहटाएं,तो वास्तव में बड़ा मजा आया.
इसकी सुन्दर आवाज में रिकॉर्डिंग होनी चाहिये
.
मैं न मुझको मिला
जवाब देंहटाएंतू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है ...
बहुत खूब ... बहुत ही लाजवाब रचना है ... हादसों को भूलना ही चाहिए ... आगे बढ़ना चाहिए ...
मैं न मुझको मिला
जवाब देंहटाएंतू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है ...
बहुत सुंदर कविता,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com