28 मई 2011

इल्तिजा

तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है

चाँद है गुमशुदा
रात है ग़मज़दा
किस से पूंछू पता
तेरी खुशबूयों का 
ये हवा भी तो रुख़सत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

दिल मेरा फ़र्द है
आँख भी ज़र्द है
सांस भी सर्द है
दर्द ही दर्द है
क्या दीवाने की हालत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

मैं न मुझको मिला
तू न तुझको मिला
वो जो था हादसा
तू उसे भूल जा
मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

माना मजबूर हो
इसलिए दूर हो
बात मेरी सुनो
चाँद को भेज दो
दिल लगाने की हसरत हुई है
तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

35 टिप्‍पणियां:

  1. मैं न मुझको मिला
    तू न तुझको मिला
    वो जो था हादसा
    तू उसे भूल जा ,

    बहुत सुन्दर ...

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  2. दिल से लिखी आपकी यह रचना सीधे दिल तक पहुंचती है।

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  3. मैं न मुझको मिला
    तू न तुझको मिला
    वो जो था हादसा
    तू उसे भूल जा
    मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

    जीवन भी क्या है ...जिसे हम चाहें वह हमसे दूर और जिसे न चाहें वह हमारे करीब ...दिल भी क्या क्या करता है ....जब जब यह खाली होता है ...बहुत सुन्दरता से भावों को पेश किया है आपने ..शुक्रिया आपका

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  4. वाह सुन्दर अभिव्यक्ति विशाल जी....

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  5. खुबसुरत एहसासों से सजी सुदंर रचना। आभार।

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  6. माना मजबूर हो
    इसलिए दूर हो
    बात मेरी सुनो
    चाँद को भेज दो
    दिल लगाने की हसरत हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
    bahut sunder,komal bhav.

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  7. क्या विशाल भाई आज १८ साल के बच्चे का दिल कहाँ से ले आये..
    उमरिया तो भजन की हो रही है..

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  8. मैं न मुझको मिला
    तू न तुझको मिला
    वो जो था हादसा
    तू उसे भूल जा
    मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है...

    बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति......

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  9. तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
    कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है

    Wah Wah!
    Just One word to describe it "Beautiful"
    Thanks for sharing!

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  10. माना मजबूर हो
    इसलिए दूर हो
    बात मेरी सुनो
    चाँद को भेज दो
    दिल लगाने की हसरत हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

    विशाल जी देखिये चाँद को उसने भेज दिया है आपके पास.
    चाँद को 'राकेश' भी कहतें है.परन्तु आप इतने विशाल हैं की
    राकेश बिलकुल कन्फ्यूज्ड है.

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  11. तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
    कैसी बेवक़्त आफ़त हुई है
    मिलने की चाह में यह सब होता ही है , बहुत खूब .....

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  12. दिल मेरा फ़र्द है
    आँख भी ज़र्द है
    सांस भी सर्द है
    दर्द ही दर्द है
    क्या दीवाने की हालत हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है
    bahut sunder panktiyan.sunder prastuti,badhaai aapko.

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  13. सुंदर शब्दों से सजा यह गीत बहुत प्यारा लगा।

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  14. बेनामी30 मई, 2011 09:32

    बहुत खूबसूरत.....शानदार

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  15. " वक्फ हिरमानोयास रहता है ,
    दिल है कुछ उदास रहता है ,
    तुम तो ग़म दे के भूल जाते हो
    मुझ को एहसाँ का पास रहता है. "

    बढ़िया ग़ज़ल , विशाल जी , बधाई !

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  16. बहुत खूब कहा है आपने ।

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  17. Wow! ख़ास तौर से अंतिम पंक्तियाँ कितनी ख़ूबसूरत हैं विशाल जी....

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  18. वाह विशाल जी , बेहतरीन रचना !...कभी कभी ऐसे ही किसी अपने की बहुत याद आती है तो शिद्दत से मिलने का दिल करता है। उम्दा अभिव्यक्ति।

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  19. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति| धन्यवाद|

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  20. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  21. चाँद है गुमशुदा
    रात है ग़मज़दा
    किस से पूंछू पता
    तेरी खुशबूयों का
    ये हवा भी तो रुख़सत हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है...

    बेहद शानदार.... लाजवाब नज़्म.....

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  22. दिल मेरा फ़र्द है
    आँख भी ज़र्द है
    सांस भी सर्द है
    दर्द ही दर्द है
    क्या दीवाने की हालत हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है

    लाजवाब ,शानदार बहुत खूब विशाल जी बधाई

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  23. माना मजबूर हो
    इसलिए दूर हो
    बात मेरी सुनो
    चाँद को भेज दो
    दिल लगाने की हसरत हुई है.

    दिल से लिखी हुई नज़्म,बहुत खूब.

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  24. हसरत जब शिद्धत से भी की जाए तो खुबसूरत उल्फत हो जाती है ..नर्म,मुलायम,मखमली सी ...बेहद खुबसूरत

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  25. "माना मजबूर हो
    इसलिए दूर हो
    बात मेरी सुनो
    चाँद को भेज दो
    दिल लगाने की हसरत हुई है"

    कितनी खूबसूरत सी मजबूरी है...
    ऐ काश कि चाँद उतर आता छत पे
    और ये हसरत पूरी कर जाता....!!

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  26. विशाल भाई, आप तो अपने रकीब निकले:)

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  27. "वो जो था हादसा, तू उसे भूल जा, मैं भी भूला तो बरकत हुई है ....."

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  28. मैंने आपकी कविता को गाया
    ,तो वास्तव में बड़ा मजा आया.
    इसकी सुन्दर आवाज में रिकॉर्डिंग होनी चाहिये
    .

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  29. मैं न मुझको मिला
    तू न तुझको मिला
    वो जो था हादसा
    तू उसे भूल जा
    मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है ...

    बहुत खूब ... बहुत ही लाजवाब रचना है ... हादसों को भूलना ही चाहिए ... आगे बढ़ना चाहिए ...

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  30. मैं न मुझको मिला
    तू न तुझको मिला
    वो जो था हादसा
    तू उसे भूल जा
    मैं भी भूला तो बरक़त हुई है
    तुमसे मिलने की शिद्दत हुई है ...

    बहुत सुंदर कविता,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.