तुम्हारे
और मेरे
अधूरे सच
हो सकेंगे
न कभी
पूर्ण
तो प्रिये
क्यों न
स्वीकारें
हम अपने
अधूरे सच
कम से कम
स्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
और मेरे
अधूरे सच
हो सकेंगे
न कभी
पूर्ण
तो प्रिये
क्यों न
स्वीकारें
हम अपने
अधूरे सच
कम से कम
स्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
कम से कम
जवाब देंहटाएंस्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
वाह्…………काश ऐसा भी कोई कर पाये और उसका अहम आगे ना आये ……………स्वीकृति के सच को भी पूर्णता नही मिल पाती है।
भाव के साथ लिखी कविता पर बधाई .
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat bhawon ko ukerti rachna
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंadhoora sa hai fasana mera
जवाब देंहटाएंapne andar jazb kar lo mujhe
to poora ho jaun main
aur shayad tum bhi
aap bhi aaiye
abhaar
कम से कम
जवाब देंहटाएंस्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
सच को कहती भावात्मक रचना
क्यों न
जवाब देंहटाएंस्वीकारें
हम अपने
अधूरे सच
कम से कम
स्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
bahut sunder abhibyakti.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks
beauteous !!
जवाब देंहटाएंसच तो सच है, अधूरा ही सही, पूरा चांद किसे मिला है :)
जवाब देंहटाएंवैसे तो a truth that is half told is not less than a lie, लेकिन कुछ सच अधूरे ही अच्छे होते हैं।
जवाब देंहटाएंकम लफ़्ज़ों में बहुत कुछ कह गये विशाल भाई, और वो भी निहायत खूबसूरती से।
वाह।
वाह विशाल जी छोटी सी बात में बड़े अर्थ, बधाई
जवाब देंहटाएंwow ! Great creation Vishal ji !
जवाब देंहटाएंlike --let's agree that we disagree . nice .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंविशाल जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...अधूरेपन की स्वीकृति ही ले जाती है हमें पूर्णता की ओर ...बहुत गूढ़ बात कह दी है आपने इस नन्ही सी नज़्म में..दर्शन समाया है पूर्णता को महसूस करने का... बधाई आपको इस चिंतन और उसे शब्द देने के लिए
मुदिता जी से पूर्णतया सहमत हूँ कि अधूरेपन की स्वीकृति ही ले जाती है हमें पूर्णता की ओर .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति थोड़े शब्दों में. !
बधाई, विशाल जी !
शायद इस को ही सहभागिता कहते हैं .....
जवाब देंहटाएंआपकी छोटी सी कविता बहुत बड़ी बात कह जाती है.
जवाब देंहटाएंक्या 'विशालता' इसी को कहतें हैं ,विशाल भाई ?
जाने में कुछ देरी हो गई.इसीलिए जाते जाते यही
टिपण्णी करने का मन किया.बाकी आने के बाद.
बेहतरीन। यही तो कविता है। छोटी ही सही पर अपने अर्थ में पुरी तरह कामयाब।
जवाब देंहटाएंस्वीकृति ही पूर्णता है । बहुत ही अच्छी कविता है ।
जवाब देंहटाएंपूर्ण रूपेण सहमत. सुंदर भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंपूर्णता में खो जाना,पूर्ण हो जाना..सच जो भी हो ...स्वीकार करना ही एक द्वार खोलना है..संभवतः विस्तृत आसमान का ....जिसमे विचरण कर ही पूर्णता का अनुभव किया जा सकता है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया, विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जवाब देंहटाएंकम से कम
जवाब देंहटाएंस्वीकृति
के सच को
तो हो जानें दे
पूर्ण
यह सच भी .....क्या है ...अगर पूरा हो जाए तो ....बहुत गहन भाव का सम्प्रेषण करती रचना .....आपका आभार
कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
कम लफ़्ज़ों में गहरी बात.......बहुत खूबसूरत|
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल है अधूरे सच को स्वीकार करना....
जवाब देंहटाएंBahut Acchi Kavita hai... Vishal Bhai!
जवाब देंहटाएंविशाल जी अच्छी क्षणिका है ....
जवाब देंहटाएंकुछ इसी तरह की बेहतरीन क्षणिकाएं हों तो भेज दें सरस्वती-सुमन के लिए ...
अपने संक्षिप्त परिचय व तस्वीर के साथ .............
खूबसूरत,भावात्मक रचना
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