जब तलक ज़िंदा हैं पत्थर ही खायेंगे
मर अगर गये तो खुदा हो जायेंगे
************
खलूस में तो मेरे कोई कमी नहीं
पाँव तले तुम्हारे ही अब वो ज़मीं नहीं
***********
ज़िन्दगी नज्मों से कहाँ चलती है
शायरों को भी भूख लगती है
*************
इक रहनुमा की बात को
मैं दिल से लगा बैठा हूँ
नयी सुबह की उम्मीद में
रातों से जगा बैठा हूँ
*****************
दिन में सूरज की तरह जलता है
रात को चाँद सा पिघलता है
तुझे आईना मैं दिखाऊँ कैसे
तेरा चेहरा रोज़ बदलता है
************
खलूस में तो मेरे कोई कमी नहीं
पाँव तले तुम्हारे ही अब वो ज़मीं नहीं
***********
ज़िन्दगी नज्मों से कहाँ चलती है
शायरों को भी भूख लगती है
*************
इक रहनुमा की बात को
मैं दिल से लगा बैठा हूँ
नयी सुबह की उम्मीद में
रातों से जगा बैठा हूँ
*****************
दिन में सूरज की तरह जलता है
रात को चाँद सा पिघलता है
तुझे आईना मैं दिखाऊँ कैसे
तेरा चेहरा रोज़ बदलता है
इक रहनुमा की बात को
जवाब देंहटाएंमैं दिल से लगा बैठा हूँ
नयी सुबह की उम्मीद में
रातों से जगा बैठा हूँ
bahut khoobsoorat shayari hai .. ..!!
दिन में सूरज की तरह जलता है
जवाब देंहटाएंरात को चाँद सा पिघलता है
तुझे आईना मैं दिखाऊँ कैसे
तेरा चेहरा रोज़ बदलता है
Bahut achi rachna ..!
एक से बढ़ कर एक...
जवाब देंहटाएंजिन्दगी नज्मो से कहा......वाली ज्यादा पसंद आई..
मर अगर गए तो खुदा हो जायेंगे...........बहुत सुन्दर..
इक रहनुमा की बात को
जवाब देंहटाएंमैं दिल से लगा बैठा हूँ
नयी सुबह की उम्मीद में
रातों से जगा बैठा हूँ
Bhetreen Abhivykti....
ये अशआर बेवज़न हैं ? मुझे तो समझ में नहीं आया कि किसका वज़न कम है.
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक.
सभी एक से बढ़कर एक हैं!
जवाब देंहटाएंbahut khoob likhi hain.
जब तलक ज़िंदा हैं पत्थर ही खायेंगे
जवाब देंहटाएंमर अगर गये तो खुदा हो जायेंगे.
अगर यह बेबजन हैं तो बजनदार अशआर कैसे होंगे.
मानना पड़ेगा. बहुत असरदार.
विशाल भाई, इतने वजनदार अशआर हैं, इन्हें बेवजनी क्यों बताते हैं?
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ... वजनदार , एक से बढ़कर एक
जवाब देंहटाएंamitabh bachhan ji ki panktiyan yaad aa gayin ,
जवाब देंहटाएंtumne to hamein pooj pooj kar but bana diya
jo log jumle kaste hain hamein zinda to samajhte hain
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत शेर......आखिरी वाला सबसे बढ़िया लगा|
जवाब देंहटाएंबहुत बडःइया भाव अच्छे हैं एक शेर को कुछ इस तरह बह्र मे लिखने की कोशिश की है
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी नज़्मों से भी चलती मगर कब तक चलेगी
शायरों को भी तो कम्बख्त भूख लगती है कभी तो
सभी अच्छे अशार इन्हें बहर मे ढाल लीजिये अच्छी गज़ल बन जायेगी।
bahut sunder. Ek se badhkar ek.
जवाब देंहटाएं" ये इश्क नहीं आसां , बस इतना समझ लीजे ,
जवाब देंहटाएंइक आग का दरिया है और डूब के जाना है "
आपके अशआर ज़मीनी हकीक़त से लबरेज़ हैं , बेवज़न तो हो ही नहीं सकते !
बधाई , विशाल भाई !
बेहतरीन ... बहुत ही वजनदार , एक से बढ़कर एक........ जवाब नहीं...
जवाब देंहटाएंVishalji,
जवाब देंहटाएंखलूस में तो मेरे कोई कमी नहीं
पाँव तले तुम्हारे ही अब वो ज़मीं नहीं
bahut sunder band likhe hain.
shubhkamnayen
ज़िन्दगी नज्मों से कहाँ चलती है
जवाब देंहटाएंशायरों को भी भूख लगती है
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
बहुत प्यारे और वजनदार अशआर हैं जी।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी नज्मों से कहाँ चलती है
जवाब देंहटाएंशायरों को भी भूख लगती है
,वाह वाह बहुत सुंदर मुबारक हो......
दिन में सूरज की तरह जलता है
जवाब देंहटाएंरात को चाँद सा पिघलता है
तुझे आईना मैं दिखाऊँ कैसे
तेरा चेहरा रोज़ बदलता है
बेहतरीन ... एक से बढ़कर एक !
बहुत गहन भावों को उकेरती एक सराहनीय रचना| धन्यवाद
बहुत बढ़िया शेर हैं ,विशाल जी.
जवाब देंहटाएंदिन में सूरज की तरह जलता है
जवाब देंहटाएंरात को चाँद सा पिघलता है
तुझे आईना मैं दिखाऊँ कैसे
तेरा चेहरा रोज़ बदलता है
यही है आज के इंसान का असली चेहरा…………सुन्दर
वाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंबेवज़न सही बेअसर तो नहीं :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है विशाल भाई,
जवाब देंहटाएंकमाल का लिख गजब ढा रहें हो
शायरी का परचम लहरा रहें हो
बदलते चहरे के रंग दिखला रहें हो,
हमारे दिल को लिए उड़े जा रहें हो
आप मर कर नही जी करके ही खुदा बने जा रहें हो.
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंउम्दा अशआर विशाल भाई.... आनंद आ गया....
जवाब देंहटाएंसादर...
विशाल भाई! सच्मुच बेवज़न अशार हैं आपके.. क्योंकि शेर का सारा वज़न तो हम अप्ने दिल पर महसूस कर रहे हैं!!कमाल किया भाई!!
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी नज्मों से कहाँ चलती है
जवाब देंहटाएंशायरों को भी भूख लगती है
बहुत सुन्दर रचना....
बहुत खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंKamal,kamal.behtreen,shukriya
जवाब देंहटाएंइक रहनुमा की बात को
जवाब देंहटाएंमैं दिल से लगा बैठा हूँ
नयी सुबह की उम्मीद में
रातों से जगा बैठा हूँ
क्या बात है...बहुत खूब..सारे शेर एक से बढ़कर एक हैं ...
बेहतरीन नज़्म जैसे..जैसे .. सीप से अभी-अभी निकला हो..और नजरें ठहर गयी हो..
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक मुक्तक...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई.
जब तलक ज़िंदा हैं पत्थर ही खायेंगे
जवाब देंहटाएंमर अगर गये तो खुदा हो जायेंगे.........
वाह, क्या बात कही है!!!