चलो तीरे नज़र संभालो तुम,
आज हमको भी आजमालो तुम ,
ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,
ये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,
मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
बस दिल से दिल मिलालो तुम,
बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
यूं सिलवटें न निकालो तुम,
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.
विशाल बाबू!
जवाब देंहटाएंक्या बात है..
बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं!!
बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.
बहुत खूबसूरत ...
Once more you open the door
जवाब देंहटाएंAnd you're here in my heart
And my heart will go on and on.
एक ब्लॉग से उपरोक्त पंक्तियाँ उधार
ली हैं,जो यहाँ लिखना मुझे अच्छा लग रहा है.
आपने सच में मात दे दी है विशाल भाई.
हम तो दिल को हारे बैठे हैं आपके आगे.
आपको बहुत बार आजमाया पर हमेशा ही दिल जीत लेते हो.
मजा तो यह है कि आपसे दिल को हारने में जीत से भी अधिक खुशी होती है.
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
जवाब देंहटाएंदिल रखने को मात खालो तुम.
बहुत खूबसूरत
विशाल जी ,
जवाब देंहटाएंबिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
यूं सिलवटें न निकालो तुम,
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.
बहुत सुन्दर .....
बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.BAHUT SUNDER SHABDON MAIN LIKHI SUNDER RACHANAA.BADHAAI AAPKO.
इन बाजियों में जो हारता है, वही जीतता है।
जवाब देंहटाएंयूँ भी फ़ैज़ साहब ने कहा था,
"गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं.
विशाल भाई, जीत की बधाई कबूल करो।
वाह, क्या बात है! संजय द्वारा उद्धृत फ़ैज़ साहब ने कभी प्यार किया होता तो पंक्ति को यूँ कहते,
जवाब देंहटाएं"गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं"
bahut umda....
जवाब देंहटाएंबिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
क्या बात की है विशाल आपने !मान गई आपकी शायरी को बहुत तल्खियां है इस मिजाज मै !
काफी दिनों से पी. सी खराब चल रहा था ..इसलिए आपके इधर रुख हो न सका ? लगता है नई जगह भा गई
जवाब देंहटाएंइस दफा भी तुम ही जीत जावोगे
जवाब देंहटाएंदिल रखने को मात खा लो तुम
.....................बहुत प्यारा शेर
प्रेमरस में सराबोर.........जानदार ग़ज़ल
बशुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
waah
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
जवाब देंहटाएंदिल रखने को मात खालो तुम.
बहुत सुन्दर समर्पण की अभिव्यक्ति करती पंक्तियाँ..
कभी कभी हार जाने से भी परिस्थितियां अपने अनुकूल हो जाती है...
जब मैं तुम और तुम मैं हो चूका है इस समर्पण में तो हार जीत किसकी??
बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.
बेहतरीन...
हर बार परवाने ने दाव लगाया और बार जलना पड़ा है उसे॥
जवाब देंहटाएंमर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
जवाब देंहटाएंबस दिल से दिल मिलालो तुम,
बहुत खूब.....शानदार शेर.....लाजवाब|
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
नयी-पुरानी हलचल
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
" ए लो मैं हारी पिया , हुई तेरी जीत रे
जवाब देंहटाएंकाहे का झगडा बालम , नई नई प्रीत रे "
अब तो खुश !
बहुत खुबसूरत, प्यारी ग़ज़ल विशाल भाई...
जवाब देंहटाएंसादर...
बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम,
waha bahut khub
ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,
जवाब देंहटाएंये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,
मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
बस दिल से दिल मिलालो तुम,
आज तो बदले से अंदाज नज़र आते है.आगे की हकीकत अगली पोस्ट में बताइएगा. बहुत सुंदर पेशकश.
ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,
जवाब देंहटाएंये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,
Love these lines... Vishal Bhai once again you came up with a beautiful poem... Keep it up Brother!
वाह ... उस्नो-जमाल के चर्चे हैं इस लाजवाब गज़ल में ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंwah......bahut badhiya
जवाब देंहटाएं"बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे
जवाब देंहटाएंयूं सिलवटें न निकालो तुम" - ये पंक्तियाँ ख़ासतौर से ख़ूबसूरत हैं..
बहुत खूब .....सुभानाल्लाह,सुभानाल्लाह
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है,हर पंक्ति इतनी गहरी जैसे सागर!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना:)
"मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
जवाब देंहटाएंबस दिल से दिल मिलालो तुम,"
"इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम."
सारे शेर ही एक से बढ़ कर एक हैं....
बस.....
लाजवाब....!