24 जून 2011

मात खालो तुम


चलो तीरे नज़र संभालो तुम,
आज हमको भी आजमालो तुम ,

ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,  
ये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,

मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
बस दिल से दिल मिलालो तुम,

बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
यूं सिलवटें न निकालो तुम,

इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
दिल रखने को मात खालो तुम.

30 टिप्‍पणियां:

  1. विशाल बाबू!
    क्या बात है..
    बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं!!

    जवाब देंहटाएं
  2. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,

    इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.

    बहुत खूबसूरत ...

    जवाब देंहटाएं
  3. Once more you open the door
    And you're here in my heart
    And my heart will go on and on.
    एक ब्लॉग से उपरोक्त पंक्तियाँ उधार
    ली हैं,जो यहाँ लिखना मुझे अच्छा लग रहा है.

    आपने सच में मात दे दी है विशाल भाई.
    हम तो दिल को हारे बैठे हैं आपके आगे.
    आपको बहुत बार आजमाया पर हमेशा ही दिल जीत लेते हो.
    मजा तो यह है कि आपसे दिल को हारने में जीत से भी अधिक खुशी होती है.

    जवाब देंहटाएं
  4. इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.

    बहुत खूबसूरत

    जवाब देंहटाएं
  5. विशाल जी ,
    बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,

    इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.

    बहुत सुन्दर .....

    जवाब देंहटाएं
  6. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,

    इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.BAHUT SUNDER SHABDON MAIN LIKHI SUNDER RACHANAA.BADHAAI AAPKO.

    जवाब देंहटाएं
  7. इन बाजियों में जो हारता है, वही जीतता है।
    यूँ भी फ़ैज़ साहब ने कहा था,
    "गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
    गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं.

    विशाल भाई, जीत की बधाई कबूल करो।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह, क्या बात है! संजय द्वारा उद्धृत फ़ैज़ साहब ने कभी प्यार किया होता तो पंक्ति को यूँ कहते,
    "गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी हाथ नहीं"

    जवाब देंहटाएं
  9. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,

    क्या बात की है विशाल आपने !मान गई आपकी शायरी को बहुत तल्खियां है इस मिजाज मै !

    जवाब देंहटाएं
  10. काफी दिनों से पी. सी खराब चल रहा था ..इसलिए आपके इधर रुख हो न सका ? लगता है नई जगह भा गई

    जवाब देंहटाएं
  11. इस दफा भी तुम ही जीत जावोगे

    दिल रखने को मात खा लो तुम

    .....................बहुत प्यारा शेर

    प्रेमरस में सराबोर.........जानदार ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  12. बशुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  13. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,
    waah

    जवाब देंहटाएं
  14. इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.

    बहुत सुन्दर समर्पण की अभिव्यक्ति करती पंक्तियाँ..
    कभी कभी हार जाने से भी परिस्थितियां अपने अनुकूल हो जाती है...
    जब मैं तुम और तुम मैं हो चूका है इस समर्पण में तो हार जीत किसकी??

    जवाब देंहटाएं
  15. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,

    इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम.

    बेहतरीन...

    जवाब देंहटाएं
  16. हर बार परवाने ने दाव लगाया और बार जलना पड़ा है उसे॥

    जवाब देंहटाएं
  17. बेनामी25 जून, 2011 15:04

    मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
    बस दिल से दिल मिलालो तुम,

    बहुत खूब.....शानदार शेर.....लाजवाब|

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर रचना।
    आपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
    नयी-पुरानी हलचल
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  19. " ए लो मैं हारी पिया , हुई तेरी जीत रे
    काहे का झगडा बालम , नई नई प्रीत रे "
    अब तो खुश !

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत खुबसूरत, प्यारी ग़ज़ल विशाल भाई...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  21. बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे,
    यूं सिलवटें न निकालो तुम,


    waha bahut khub

    जवाब देंहटाएं
  22. ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,
    ये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,

    मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
    बस दिल से दिल मिलालो तुम,

    आज तो बदले से अंदाज नज़र आते है.आगे की हकीकत अगली पोस्ट में बताइएगा. बहुत सुंदर पेशकश.

    जवाब देंहटाएं
  23. ताबे हुस्न से जल जाएगा परवाना,
    ये दुप्पटा ज़रा संभालो तुम,
    Love these lines... Vishal Bhai once again you came up with a beautiful poem... Keep it up Brother!

    जवाब देंहटाएं
  24. वाह ... उस्नो-जमाल के चर्चे हैं इस लाजवाब गज़ल में ... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
  25. "बिस्तर पर बिखरे रहने दो लम्हे
    यूं सिलवटें न निकालो तुम" - ये पंक्तियाँ ख़ासतौर से ख़ूबसूरत हैं..

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत खूब .....सुभानाल्लाह,सुभानाल्लाह

    जवाब देंहटाएं
  27. वाह! क्या बात है,हर पंक्ति इतनी गहरी जैसे सागर!

    सुंदर रचना:)

    जवाब देंहटाएं
  28. "मर्जी है तुम्हारी पर्दे में ही रहो,
    बस दिल से दिल मिलालो तुम,"

    "इस दफा भी तुम ही जीत जाओगे,
    दिल रखने को मात खालो तुम."

    सारे शेर ही एक से बढ़ कर एक हैं....
    बस.....
    लाजवाब....!

    जवाब देंहटाएं

मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.