19 जुलाई 2011

मार डालूँगा

तुझे इनायत से मार डालूँगा,
तुझे शराफ़त से मार डालूँगा,

दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,

संग से नहीं संगदिल अज़ीज़,
तुझे नज़ाकत से मार डालूँगा,

तुम मिलावट से मारते रहो,
तुझे नज़ाफ़त से मार डालूँगा,

मुझे हुआ दर्द तुझे नहीं होगा,
बड़ी नफ़ासत से मार डालूँगा,

पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,

जिस शरारत से तुमने मारा मुझे,
उसी शरारत से मार डालूँगा.

42 टिप्‍पणियां:

  1. पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
    तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,

    चलो इजाजत देते हैं .....अब मार डालो .....!

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  2. दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,
    बहुत खूबसूरत अंदाज , बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई

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  3. दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,

    बहुत खूबसूरत

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  4. खूबसूरत अंदाज मारने का विशाल जी

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  5. मरो हुओ को क्या मारोगे,विशाल भाई.

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  6. शांति -शांति ....................मारने और मरने की बातें न करें करने और कराने की बात करें तो अच्छा है

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  7. पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
    तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,


    हम तो वैसे ही मरे -माराए हैं विशाल ...इतनी खुबसुरत कविता पर ...अब क्या खाक मरेंगे ..अब तो जीने की तमन्ना हैं !

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  8. वाह......वाह....बहुत खूब.......क़त्ल भी करते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं.....सुभानाल्लाह|

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  9. विशाल जी , आप तो फिर भी इनायत और शराफत से मारने की बात करते हैं . जब कि पानी हद से गुज़र जाने पर कुछ इस तरह कि बात होनी भी वाजिब है :

    " ओ बे वफ़ा तेरा भी यूँ ही टूट जाए दिल
    तू भी तड़प तड़प- के पुकारे के हाय दिल
    तेरा भी सामना हो कभी ग़म की शाम से

    .............................................
    हम वो नहीं जो प्यार में रो कर गुज़ार दें
    परछाईं भी हो तेरी तो ठोकर पे मार दें
    वाकिफ हैं हम भी खूब हर इक इंतकाम से "
    ( गो गाना और अंदाज़ फ़िल्मी है ! )
    बढ़िया प्रस्तुति !

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  10. वाह बहुत खूबसूरत अन्दाज़्।

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  11. बहुत मार डालूँगा, मार डालूँगा, कह रहे हैं आप | गलत बात है यह | सावधान ! अगर सरकार को पता चल गया तो क्या अंजाम होगा पता भी है आपको ?
    वाह आपका बहुत खूबसूरत अन्दाज़ है मारने का |

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  12. शब्दों का खूबसूरत संयोजन ,बेहद खूबसूरत ,बहुत सुंदर..

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  13. दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,

    वाह क्या खुबसूरत शेर कही है....
    सुन्दर ग़ज़ल....
    सादर...

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  14. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    ' नीम ' पेड़ एक गुण अनेक..........>>> संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

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  15. दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,

    संग से नहीं संगदिल अज़ीज़,
    तुझे नज़ाकत से मार डालूँगा,

    भई वाह...क्या बात है....बहुत बढ़िया...

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  16. विशाल भाई!! हमारे लिए तो बस यही बचा है कहने को कि "मार डाला!!"

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  17. विशाल जी

    बड़े खतरनाक इरादे हैं आपके ..लेकिन हैं बड़े मासूम से तरीके


    दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,

    संग से नहीं संगदिल अज़ीज़,
    तुझे नज़ाकत से मार डालूँगा,

    बहुत खूब अंदाज़ ...

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  18. भई हम तो पहले ही आपकी रचनाओं पे मर चुके है। अब मरे हुए को मार कर क्या किजिएगा। खुबसुरत अंदाज।

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  19. पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
    तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,

    जिस शरारत से तुमने मारा मुझे,
    उसी शरारत से मार डालूँगा.


    बेहतरीन रचना...

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  20. पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
    तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,

    बहुत अच्छे,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  21. वाह,ये अंदाज़ भी कमाल का है,विशाल जी.

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  22. तुझे इनायत से मार डालूँगा,
    तुझे शराफ़त से मार डालूँगा,

    दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,
    क्या बात है विशाल भाई जी ....आज इतने खूंखार क्यों हो गये ...जो मोहब्बत को भी मारने के लिए एक हथियार बना लिया.

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  23. दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,..

    विशाल जी ... क्या कातिलाना शेर है ... हम तो वैसे भी मर गए इस शेर पर ...

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  24. बहुत खूब , गहरा नया अंदाज़ ...शुभकामनायें विशाल !

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  25. छोड़ूंगा नहीं ! बेहतरीन अंदाज़ !!

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  26. इन दिनों काफी दूरी हो गई थी ब्लॉग से मेरी....कई दिनों बाद आ पाई ब्लॉग पर..आते ही आपके ब्लॉग पर आई..'मार डालूँगा' कविता थोड़ी अलग तरह की लगी...उम्मीद करती हूँ भावनाएँ सिर्फ शब्दों तक ही सीमित रहेंगी:)

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  27. वैसे हमेशा की तरह कविता बेहतरीन है इसमें कोई शक नहीं..

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  28. waah bahut hi achha likha hai, padhna man bhaya.

    shubhkamnayen

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  29. ये अंदाज भी खूब रहा...
    सादर,
    डोरोथी.

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  30. वाह !! मरने के इतने बेमिसाल तरीके. कोई पढ़ कर ही क्यों न मर जाये ????......बेहतरीन अंदाज़

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  31. maarne ki baat badi sharaafat se ki aapne :)


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  32. बहुत ही बढि़या

    नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया


    चलो मेरा लिखा मत पढ़ो,


    पोस्ट आपका इंतजार कर रहीं हैं

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  33. मारते हैं लोग इस तरह भी ...
    क्या बात है !

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  34. .


    ऐल्लोऽऽऽ… फिर से आया नई रचना की तलाश में तो पता चला कि मेरा कमेंट तो है ही नहीं … क्या गड़बड़ी हुई जाने … !!


    प्रियवर विशाल जी
    सस्नेह पूर्ण अभिवादन !

    मुझे हुआ दर्द तुझे नहीं होगा,
    बड़ी नफ़ासत से मार डालूँगा,

    पीठ पर वार नहीं आदत मेरी,
    तेरी इजाज़त से मार डालूँगा,


    बड़ी प्यारी पंक्तियां हैं … क्या बात है !

    अब नई रचना का इंतज़ार है …


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  35. मरते मरते यह ब्यान दे जाऊँगा
    विशाल ने दिल की कलम से
    मुझ मरे हुए को मारा यह कह जाऊँगा
    प्यार की बेड़ियों में जकड लिए जाओगे जब
    दिल की कोठरी में आजीवन कैद कर लिए जाओगे जब
    तब न कंहीं आपकी सुनवाई होगी
    सजा इतनी मिलेगी कि बहुत रुसवाई होगी.

    क्या अब भी इरादा है आपका मारने का.
    यदि हाँ तो चले आईयेगा मेरे ब्लॉग पर.
    यूँ नज़रे न फेरे रखियेगा.
    आखिर मैं कोई दुश्मन तो नहीं.

    रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  36. मरने मारने की बातें छोड़ कर अब आ जाओ वापिस ....और सबको जीने की नसीहत दे दीजिये ..!

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  37. Very very interesting gazal. I enjoyed reading it. Mubrik kabool karen.

    Surjit.

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  38. तुझे इनायत से मार डालूँगा,
    तुझे शराफ़त से मार डालूँगा,
    दम तो ले ज़रा कातिल मेरे,
    तुझे मुहब्बत से मार डालूँगा,


    वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.