04 दिसंबर 2011

चिरंतन तलब.................श्री नसीब चेतन



एक सिगरेट
तेरे अतृप्त लबों की तलब
एक पैकेट
मेरी जेब के अन्दर सरकता है
एक मुश्किल
सिर्फ सुलगाने की है


ये कैसी बस्ती है
यहाँ हर बशर
किसी जुगनू का सर पकड़
आग सुलगाने की
असफल सी कोशिश करे
यख़ सर्द मौसम में
कंपकपाने से डरे
सर्दी मारे शरीर की
बेचारा मन जरे


ये सभी सडकें
नपुंसकों के वजूद का
हो गयीं शिकार
सर्दी मारे शरीर पहने
काठ के उल्लुओं को
कैसे चढ़ेगा बुखार


ये सरापी जगह
हमारी चिरंतन तलब की
पूरक बने........
संभव नहीं


चलो कहीं और चलें हम
पत्थर से पत्थर टकरा कर  
कोई चिंगारी निकालें
लबों पर सुलगता हुआ
सिगरेट तो रखें.

25 टिप्‍पणियां:

  1. किसी जुगनू का सर पकड़
    आग सुलगाने की
    असफल सी कोशिश....

    वाह! शसक्त रचना....
    सादर आभार...

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  2. sundar wa sashakt rachna...ek alag si soch liye hue ....umda

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  3. उच्च कोटि की कविता है ...
    बहुत सशक्त और ..बहुत कुछ कहती हुई ..
    badhai.

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  4. बेहद खुबसूरत नज़्म पढवाया है आपने | जी शुक्रिया..

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  5. सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति

    कृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.

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  6. बेहतरीन कविता. दिल बाग बाग हो गया.

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  7. सशक्त और प्रभावशाली रचना.....

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  8. गहन अर्थों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।

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  9. बहुत खूब ... गहरी बात है इस रचना में ... आज कितने हैं तो पत्थर से पत्थर टकरा कर जलाते हैं ... बहुत ही प्रभावी रचना ..

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  10. हर एक पंक्ति पर एक अजीब सा एहसास दिल में तैर जाता है.. आखिर तक आते-आते एक ऐसी दुनिया में होने का एहसास जिसका बयान मुमकिन नहीं.. पहले भी कहा है, आज भी कहता हूँ.. अपने समय से आगे के शायर!!

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  11. चलो कहीं और चलें हम
    पत्थर से पत्थर टकरा कर
    कोई चिंगारी निकालें
    लबों पर सुलगता हुआ
    सिगरेट तो रखें.

    सुभानाल्लाह.........बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट|

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  12. चलो कहीं और चलें हम
    पत्थर से पत्थर टकरा कर
    कोई चिंगारी निकालें.बहुत बढिया।

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  13. सिगरेट को मौजू बना कर - प्रतीक रूप में ही सही - इतनी सुंदर नज़्म लिखी जा सकती है , आज ही मालूम हुआ !
    बेहतरीन प्रस्तुति विशाल जी !

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
    पर मुझे तो 'सिगरेट' शब्द से अलर्जी सी होती है.

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  15. विशाल जी , नव वर्ष की शुभकामनाएं.. हर क्षण मंगलमय हो..

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  16. विशाल जी वर्ष २०११ मेरे लिए शुभ रहा. क्यूंकि आप जैसे प्रेमी
    और सुहृदय मित्र से परिचय हुआ और विचारों का सुन्दर आदान
    प्रदान हुआ.

    नववर्ष २०१२ भी नित शुभ और मंगलमय हो आपको और आपके परिवार को ,यही दुआ और कामना करता हूँ.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  17. भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
    नव वर्ष मंगलमय हो।

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  18. किसी जुगनू का सर पकड़
    आग सुलगाने की
    असफल सी कोशिश....
    बेहतरीन प्रस्तुति

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  19. कभी-कभी कोई पोस्ट डाल दिया करें...समय निकाल कर..सूना लगता है ब्लॉग जगत आपके बिना..

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.