काश !
तुम मुझको पढ़ लेते
तो ढल जाता मैं
नगमे में
काश !
तुम मुझको ओढ़ लेते
तो खुल जाते
सब पर्दे
काश ,
तुम मुझको बाँध लेते
तो बन जाता
मैं समंदर
काश !
तुम मुझको पी लेते
तो हो जाता
मैं अमृत
काश !
तुम मुझको सुन लेते
तो बज उठता
मैं अनहद सा
काश !
तुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
तुम मुझको पढ़ लेते
तो ढल जाता मैं
नगमे में
काश !
तुम मुझको ओढ़ लेते
तो खुल जाते
सब पर्दे
काश ,
तुम मुझको बाँध लेते
तो बन जाता
मैं समंदर
काश !
तुम मुझको पी लेते
तो हो जाता
मैं अमृत
काश !
तुम मुझको सुन लेते
तो बज उठता
मैं अनहद सा
काश !
तुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
तलाश जारी रहे..उम्मीद बनाये रखें...
जवाब देंहटाएंकभी तो मिलेगी बहारो की मंजिल.......
काश !
जवाब देंहटाएंतुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
बहुत सुंदर ...काश की ऐसा हो जाता ...
काश !
जवाब देंहटाएंतुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल.
इच्छा तो यही होती है पर ऐसा होना जरा मुशिकल ही होता है हमेशा.
काश !
जवाब देंहटाएंतुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
विशाल भाई, ये मुकम्मल क्या होता है जी ?
सुना है 'हर किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता'
यह शून्य से पूर्ण की तलाश है!
जवाब देंहटाएंकाश .... बस यही एक सोच रह जाती है ... खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतुम मुझको पा लेते
जवाब देंहटाएंतो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
kaash...
काश !
जवाब देंहटाएंतुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .
विशाल जी ..
जवाब देंहटाएंकाश ..!! ये काश न होता
सुन्दर अभिव्यक्ति
kya baat hai...mukammili ki intehaan hai ye to...
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत...जैसे एक ख़ामोश सी बात किसी की ज़बाँ से हौले से निकलकर मध्यम मध्यम चलती हवा के साथ अपनी मंज़िल तलाश रही है.....बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति है विशाल जी...
जवाब देंहटाएंआज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंबटुए में , सपनों की रानी ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
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बहुत ही सुन्दर भाव.....अध्यात्म रस से भरपूर....शानदार|
जवाब देंहटाएंकाश !
जवाब देंहटाएंतुम मुझको सुन लेते
तो बज उठता
मैं अनहद सा
बहुत खूब!
गहन भावों की सरल अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
तुम मुझको पा लेते
जवाब देंहटाएंतो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल.......
काश....... काश सब कुछ ऐसा ही होता ... बहुत खूबसूरत रचना
आप इस छोटी सी उम्मीद को बनाये रखिये एक दिन मुक्कमिल जहाँ मिल ही जायेगा!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
aaj mujhe bhi yahi kahna hai....
जवाब देंहटाएंkash tum mujhe padh lete...... :)
sunder abhivyakti.
काश!
जवाब देंहटाएंयही इस कविता को भावनातमक ऊंचाई बख्शता है!! विशाल भाई, आप वाकई दिल की कलम से लिखते है!!
लो जी ! हम ने पढ लिया॥
जवाब देंहटाएंकाश! तुम पलकें मूंद लो और मै उसी मे समाया रहूं ..
जवाब देंहटाएंआपको अभी तक २१ ने पढा विशाल भाई.
जवाब देंहटाएं२१ नगमों में ढलना पड़ेगा अभी तो आपको.
आगे और भी ढलने का इंतजार है.
इस बीच एक नगमा आपका मेरे ब्लॉग पर हो जाये तो कैसा रहें?
फिर आपके नगमें को पीकर,मुझे अमृत मिल जायेगा. .
दोनों की चाहतें पूरी हो जायेंगीं.
काश! ऐसा जल्दी से हो.
काश कि हम दोनों मुकम्मल हो पाते ...
जवाब देंहटाएंकाश की कसमसाहट और वेदना अभिव्यक्ति हो रही है शब्दों में !
वाह.. विशाल जी बेहद सुन्दर अभिवय्क्तियाँ, खूबसूरत क्व्यात्रा हेतु बधाई
जवाब देंहटाएंशायद " उनको " एहसास नहीं कि आप दोनों इक दूजे के लिए बने हो . खैर उम्मीद का दामन मत छोडिये !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति !
गहरे जज्बात। आभार।
जवाब देंहटाएंBhawporn prastuti....
जवाब देंहटाएंbadhai...
ap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye
प्रियवर विशाल जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन ! … एवम सुमधुर स्मृति !
बहुत प्यारी रचना है -
काश !
तुम मुझको पढ़ लेते
तो ढल जाता मैं
नगमे में
…और प्यास बढ़ जाती है …
काश !
तुम मुझको सुन लेते
तो बज उठता
मैं अनहद सा
काश !
तुम मुझको पा लेते
तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल
अद्भुत !
सतही तौर पर लगता है जैसे मांगा जा रहा है …
है देने ही देने की बात समर्पण के भाव …
बहुत अच्छा लिखते हैं आप ! तारीफ़ के लिए पर्याप्त शब्द नहीं मिल रहे …
रचनाएं बराबर पढ़ लेता हूं आपकी , टिप्पणी में अवश्य चूक हो रही है … बदले की भावना मत रखना … हा हा हाऽऽ …:)
हार्दिक शुभकामना सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुंदर भाव हैं आपकी आखिर की पंक्तियों में,
जवाब देंहटाएंबधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
काश.....!
जवाब देंहटाएंकाश.....!!
काश.....!!!
काश कि तुम मेरे पास होते
तो इतने काश ही न होते.....!!
बहुत ही सुन्दर रचना....
सुन्दर मनोभावों के साथ...!
Lovely Lines Brother! Keep it Up!
जवाब देंहटाएंगहरी अनुभूति लिए है ये रचना ... जीवन में ओसे पल आते अहिं जब ऐसा सोचता है इंसान ...
जवाब देंहटाएंकाश, हम ऐसा लिख पाते।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार लिखते हैं विशाल भाई, बहुत शानदार।
Bahut achchha likha hai..kash! bahut achchhaBahut achchha likha hai..kash! bahut achchha
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर खूबसूरत प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंकाश ही तो सबसे खुबसूरत होता है.एक खुला आसमान की तरह..मुकम्मल सा ...
जवाब देंहटाएंकाश को तलाशती ये जिन्दगी .....
जवाब देंहटाएंकुछ अधूरी सी ..कुछ कुछ पूरी सी
काश .....................बहुत गहरी अभिव्यक्ति
bahut sunder Vishal ji
जवाब देंहटाएंaap bhi aaiye
Naaz
विशाल भाई
जवाब देंहटाएंगज़ब का लिखा है .. आजकल आप हृदयम पर क्यों नहीं आ रहे है .. आपकी इस कविता ने मन मोह लिया है ....बधाई ..
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html