29 जून 2011

काश ! तुम मुझको पढ़ लेते

काश !
तुम मुझको पढ़ लेते
तो ढल जाता मैं
नगमे में

काश !
तुम मुझको ओढ़ लेते
तो खुल जाते
सब पर्दे

काश ,
तुम मुझको बाँध लेते
तो बन जाता
मैं समंदर

काश !
तुम मुझको पी लेते
तो हो जाता
मैं अमृत

काश !
तुम मुझको सुन लेते
तो बज उठता
मैं अनहद सा

काश !
तुम मुझको पा लेते 

तो हो जाता मैं मुकम्मल
हो जाते तुम मुकम्मल 

39 टिप्‍पणियां:

  1. तलाश जारी रहे..उम्मीद बनाये रखें...
    कभी तो मिलेगी बहारो की मंजिल.......

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  2. काश !
    तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल

    बहुत सुंदर ...काश की ऐसा हो जाता ...

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  3. काश !
    तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल.

    इच्छा तो यही होती है पर ऐसा होना जरा मुशिकल ही होता है हमेशा.

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  4. काश !
    तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल

    विशाल भाई, ये मुकम्मल क्या होता है जी ?
    सुना है 'हर किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता'

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  5. यह शून्य से पूर्ण की तलाश है!

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  6. काश .... बस यही एक सोच रह जाती है ... खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  7. तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल
    kaash...

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  8. काश !
    तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .

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  9. विशाल जी ..
    काश ..!! ये काश न होता

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. बहुत ही ख़ूबसूरत...जैसे एक ख़ामोश सी बात किसी की ज़बाँ से हौले से निकलकर मध्यम मध्यम चलती हवा के साथ अपनी मंज़िल तलाश रही है.....बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति है विशाल जी...

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  11. बेनामी30 जून, 2011 14:41

    बहुत ही सुन्दर भाव.....अध्यात्म रस से भरपूर....शानदार|

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  12. काश !
    तुम मुझको सुन लेते
    तो बज उठता
    मैं अनहद सा
    बहुत खूब!

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  13. गहन भावों की सरल अभिव्यक्ति बधाई
    आशा

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  14. तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल.......

    काश....... काश सब कुछ ऐसा ही होता ... बहुत खूबसूरत रचना

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  15. आप इस छोटी सी उम्मीद को बनाये रखिये एक दिन मुक्कमिल जहाँ मिल ही जायेगा!!

    बहुत सुंदर

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  16. aaj mujhe bhi yahi kahna hai....

    kash tum mujhe padh lete...... :)

    sunder abhivyakti.

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  17. काश!
    यही इस कविता को भावनातमक ऊंचाई बख्शता है!! विशाल भाई, आप वाकई दिल की कलम से लिखते है!!

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  18. काश! तुम पलकें मूंद लो और मै उसी मे समाया रहूं ..

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  19. आपको अभी तक २१ ने पढा विशाल भाई.
    २१ नगमों में ढलना पड़ेगा अभी तो आपको.
    आगे और भी ढलने का इंतजार है.
    इस बीच एक नगमा आपका मेरे ब्लॉग पर हो जाये तो कैसा रहें?
    फिर आपके नगमें को पीकर,मुझे अमृत मिल जायेगा. .
    दोनों की चाहतें पूरी हो जायेंगीं.
    काश! ऐसा जल्दी से हो.

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  20. काश कि हम दोनों मुकम्मल हो पाते ...
    काश की कसमसाहट और वेदना अभिव्यक्ति हो रही है शब्दों में !

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  21. वाह.. विशाल जी बेहद सुन्दर अभिवय्क्तियाँ, खूबसूरत क्व्यात्रा हेतु बधाई

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  22. शायद " उनको " एहसास नहीं कि आप दोनों इक दूजे के लिए बने हो . खैर उम्मीद का दामन मत छोडिये !

    खूबसूरत प्रस्तुति !

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  23. Bhawporn prastuti....
    badhai...

    ap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye

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  24. प्रियवर विशाल जी
    सस्नेहाभिवादन ! … एवम सुमधुर स्मृति !

    बहुत प्यारी रचना है -
    काश !
    तुम मुझको पढ़ लेते
    तो ढल जाता मैं
    नगमे में

    …और प्यास बढ़ जाती है …
    काश !
    तुम मुझको सुन लेते
    तो बज उठता
    मैं अनहद सा

    काश !
    तुम मुझको पा लेते
    तो हो जाता मैं मुकम्मल
    हो जाते तुम मुकम्मल


    अद्भुत !
    सतही तौर पर लगता है जैसे मांगा जा रहा है …
    है देने ही देने की बात समर्पण के भाव …

    बहुत अच्छा लिखते हैं आप ! तारीफ़ के लिए पर्याप्त शब्द नहीं मिल रहे …
    रचनाएं बराबर पढ़ लेता हूं आपकी , टिप्पणी में अवश्य चूक हो रही है … बदले की भावना मत रखना … हा हा हाऽऽ …:)
    हार्दिक शुभकामना सहित

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  25. बहुत ही सुंदर भाव हैं आपकी आखिर की पंक्तियों में,
    बधाई,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  26. काश.....!
    काश.....!!
    काश.....!!!
    काश कि तुम मेरे पास होते
    तो इतने काश ही न होते.....!!
    बहुत ही सुन्दर रचना....
    सुन्दर मनोभावों के साथ...!

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  27. गहरी अनुभूति लिए है ये रचना ... जीवन में ओसे पल आते अहिं जब ऐसा सोचता है इंसान ...

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  28. काश, हम ऐसा लिख पाते।
    बहुत शानदार लिखते हैं विशाल भाई, बहुत शानदार।

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  29. Bahut achchha likha hai..kash! bahut achchhaBahut achchha likha hai..kash! bahut achchha

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  30. बहुत सुंदर खूबसूरत प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं
  31. काश ही तो सबसे खुबसूरत होता है.एक खुला आसमान की तरह..मुकम्मल सा ...

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  32. काश को तलाशती ये जिन्दगी .....
    कुछ अधूरी सी ..कुछ कुछ पूरी सी
    काश .....................बहुत गहरी अभिव्यक्ति

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  33. विशाल भाई
    गज़ब का लिखा है .. आजकल आप हृदयम पर क्यों नहीं आ रहे है .. आपकी इस कविता ने मन मोह लिया है ....बधाई ..

    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे.
तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.
मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाब
लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.