bas men hi sab kuchh bas , kya baat hai
न उसका चला बसन मेरा चला बस....फिर क्यूँ है ये गिला बस.........सुन्दर प्रस्तुति.....
Sunder Bhavabhivykti...
ACCHA HA BAS.............BAS HI BAS
मुहब्बत का सिला बस उस से है गिला बसबस पर न चला बस क्यूँ इतनी गिला है बसअनवरत इंतजार है बसथक गई हैं आँखे बस क्या मोहब्बत सताना है बस?
बस और बेबस की यह जद्दोजहद .....!
शब्दों का चमत्कारिक प्रयोग.
वो लम्हा बस ... सुन्दर अभिव्यक्ति
badhiya kavita
khoobsurat ehsaas sir jii....
वाह विशाल जी
bahut badhiyaa
न मेरा चला बसजो उसने कहा बसतो अपना हुआ बसहमको न मिला बसमुहब्बत का सिला बस आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
सहज सुन्दर अभिव्यक्ति ....
माफ़ कीजिये मुझे आपकी ये पोस्ट पसंद नहीं आई.......
बहुत खूब ........अच्छी प्रस्तुति
बस,बस पर अब ,बस नहीं
बहुत खूब लिखा है,आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
WoOW! Good One Bro!Regards,Sunny Dhanoehttp://wolfariann.blogspot.com/http://radiopunjab.blogspot.com/
काश कुछ लोग कुछ और मामलों में भी बस कर लेते ,-----तो कितना अच्छा होता !बेहतरीन प्रस्तुति !
इस 'बस' ने तो हद कर दी ---जाती ही नहीं ?
शुभकामनायें आपको !
बहुत बढ़िया....सादर..
शब्दों से खेलना आप बखुबी जानते है। सुन्दर रचना।
आपका लम्हे ने रोक लिया मुझे.क्या .... कहूँ?
interesting!
मंजिल न दे ,चिराग न दे , हौसला तो दे. तिनके का ही सही, मगर आसरा तो दे.मैंने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जबाबलेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे.
bas men hi sab kuchh bas , kya baat hai
जवाब देंहटाएंन उसका चला बस
जवाब देंहटाएंन मेरा चला बस....
फिर क्यूँ है ये गिला बस.........
सुन्दर प्रस्तुति.....
Sunder Bhavabhivykti...
जवाब देंहटाएंACCHA HA BAS.............BAS HI BAS
जवाब देंहटाएंमुहब्बत का सिला बस
जवाब देंहटाएंउस से है गिला बस
बस पर न चला बस
क्यूँ इतनी गिला है बस
अनवरत इंतजार है बस
थक गई हैं आँखे बस
क्या मोहब्बत सताना है बस?
बस और बेबस की यह जद्दोजहद .....!
जवाब देंहटाएंशब्दों का चमत्कारिक प्रयोग.
जवाब देंहटाएंवो लम्हा बस ... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbadhiya kavita
जवाब देंहटाएंkhoobsurat ehsaas sir jii....
जवाब देंहटाएंवाह विशाल जी
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंन मेरा चला बस
जवाब देंहटाएंजो उसने कहा बस
तो अपना हुआ बस
हमको न मिला बस
मुहब्बत का सिला बस
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
सहज सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंमाफ़ कीजिये मुझे आपकी ये पोस्ट पसंद नहीं आई.......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ........अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबस,बस पर अब ,बस नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है,
जवाब देंहटाएंआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
WoOW! Good One Bro!
जवाब देंहटाएंRegards,
Sunny Dhanoe
http://wolfariann.blogspot.com/
http://radiopunjab.blogspot.com/
काश कुछ लोग कुछ और मामलों में भी बस कर लेते ,
जवाब देंहटाएं-----तो कितना अच्छा होता !
बेहतरीन प्रस्तुति !
इस 'बस' ने तो हद कर दी ---जाती ही नहीं ?
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसादर..
शब्दों से खेलना आप बखुबी जानते है। सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआपका लम्हे ने रोक लिया मुझे.क्या .... कहूँ?
जवाब देंहटाएंinteresting!
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